डॉलर की तेज़ी से खाद्य तेल हुए महंगे : सरसों में तेज़ी नहीं

नई दिल्ली, 7 अक्तूबर (एजेंसी): गत सप्ताह डॉलर 74 रुपए को पार कर गया। इसके अलावा मलेशिया में सीपीओ 10 डॉलर प्रति टन और बढ़ गया। इसके प्रभाव से नये-पुराने तिलहनों का मंडियों में दबाव बढ़ने के बावजूद सरसों व सोया तेल 50/150 रुपए तक उछल गये। वहीं सरसों 50 रुपए ऊपर-नीचे होती रही। सोयाबीन सीड में कोई बढ़त नहीं हुई।  अत: खाद्य तेलों की तेजी भी टिकाऊ नहीं लग रही है। आलोच्य सप्ताह मलेशिया में सीपीओ 10 डॉलर बढ़कर 535 डॉलर प्रति टन पर जा पहुंचा। केएलसीई में सीपीओ नवम्बर वायदा भी 2135 रिंगिट से बढ़कर 2179 रिंगिट प्रति टन हो गया। फलत: कांदला में भी इसके भाव 50 रुपए बढ़कर 3950 रुपए प्रति क्विंटल हो गये। सोयाबीन की नई फसल आ रही है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में सोया तेल वायदा बढ़ जाने से कांदला में तेल सोया 7200 से बढ़कर 7340 रुपए पर जा पहुंचा। यहां भी तेल सोया रिफाइंड नीचे में 7920 रुपए पर आ जाने के बाद ऊपर में 8080 रुपए पर पहुंच गया। सप्ताह के अंतिम दिन 30 रुपए मुनाफावसूली बिकवाली से नरम हो गया। इसी अनुपात में डिगम में भी भरपूर तेजी के बाद अंतिम दिन सुस्ती लिए व्यापार होने की खबर थी। अब दूसरी ओर सरसों की स्थिति बड़ी ही अजीबोगरीब बनी हुई है। गत डेढ़ माह पहले 4400 रुपए तक सरसों का व्यापार ऊपर में हो गया था, वह लुढ़ककर 4200 रुपए में आ गया है। अप्रैल महीने में स्टॉकिस्टों ने 3850 रुपए में स्टॉक किया गया था, जो ब्याज भाड़ा लगाकर 4300 रुपए घर में पड़ रहा है। पूरे सप्ताह निवाई, टोंक एवं कोटा लाइन के स्टॉकिस्टों की बिकवाली बनी रही क्योंकि हरियाणा की दादरी लाइन का माल सस्ता पड़ने से आगरा-कानपुर लाइन की तेल मिलें पड़ते में पिराई कर रही हैं।