याद आते हैं बचपन के दिन  अंकिता शर्मा

चंडीगढ़ की लड़की अंकिता शर्मा ने एक बार फि र टीवी पर अपनी शुरुआत की है। इससे पहले के शो लाजवंती, ये वादा रहा और एक शृंगार-स्वाभिमान किये हैं। इन दिनों वे काफी उत्साहित हैं क्योंकि वह शो ‘बीचवाले : बापू देख रहा है’ में मजबूत किरदार को निभाने जा रही हैं। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश —
‘बीच वाले : बापू देख रहा है’ में अपने किरदार के बारे में बतायें
 —‘बीच वाले में मेरा किरदार शीतल का है। वह बहुत ही चुलबुली है और रुतबे की उसे काफी फिक्र रहती है। वह हर चीज में ‘क्लास’ देखती है। जैसे कि यदि वह कहीं घूमने गई है, तो वह उन लोगों को उनकी क्रॉकरी के आधार पर परखती है जिसमें खाना परोसा गया है या फि र उनके घर में किस ब्रांड का साबुन इस्तेमाल किया गया है। साथ ही उसे मौज-मस्ती करना पसंद है और वह अपने पति के साथ काफी रोमांटिक है। 
 ‘बीच वाले’ की शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
—डेली सोप के अलग-अलग जोनर का हिस्सा बनना काफी मजेदार रहा है, लेकिन ‘बीच वाले’ की शूटिंग के दौरान यह अहसास हुआ कि कॉमेडी शोज में अलग तरह की मस्ती होती है। आप शूटिंग के 12-13 घंटों बाद भी मानसिक रूप से थकान महसूस नहीं करते हैं। आपके अंदर एक तरह की ऊर्जा होती है, जो आपको अगले दिन भी शूटिंग पर आने के लिये प्रेरित करती है। वरना, जब मैंने ‘सास बहू’ से भरे डेली सोप्स किये थे तो घर पहुंचने पर समय के साथ मेरा दिमाग थक जाता था। मुझे काफी थकान महसूस होती थी। 
‘बीच वाले’ बाकी डेली सोप्स से किस तरह अलग है?
—‘बीच वाले’ बाकी अन्य शोज से अलग है क्योंकि यह हल्का-फुलका शो है और इसमें कोई अलग से ड्रामा या मुश्किलें नहीं हैं। हम जब लड़ते हैं तो वह एक आम परिवार की लड़ाई की तरह ही लगता है। वहां प्यार है और राजनीति के बिना लड़ाई है। यह एक सरल, हल्का-फु लका शो है, जिससे कोई भी किरदार आसानी से खुद को जोड़ सकता है। 
उस एक समस्या के बारे में बतायें, जो आपने अपनी जिंदगी में बीच वाला होने के कारण झेली हैं?
—कई सारी ऐसी समस्याएं रही हैं। कुछ न कुछ होता रहता है। जरा सोचिए, पांच लोगों का एक मध्य वर्गीय परिवार और एक स्कूटर। मुझे याद है, बचपन के दिनों में, हम पांचों, मेरे डैड, मेरी मां, मेरा भाई और बहन एक ही येज़्दी बाइक पर जाया करते थे। मैं सामने बैठती थी, मेरी बहन बीच में और मेरा भाई मां की गोद में बैठा करता था। 

—पाखी