मंजूरशुदा कालोनियों के प्लाटों को मिलेगा यूनीक नंबर : सरकारिया

चंडीगढ़, 14 अक्तूबर (वार्ता) : पंजाब सरकार के राजस्व विभाग ने शहरों में जायदाद खरीदने वाले लोगों को परेशानियों और ठगी से बचाने के लिए सरकारी और मंजूरशुदा कालोनियों के प्लाटों को राजस्व रिकार्ड में यूनीक नंबर देने का फैसला किया है। सरकार की ओर से आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यूनिक नंबर खसरा नंबर के साथ-साथ प्लाट नंबर भी दिखाएगा जिससे हरेक प्लाट की अलग खेवट (स्वामित्व का नंबर) तैयार हो जायेगी और सांझे खाते वाली दिक्कतों से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा कालोनी में सांझा स्थानों जैसे कि रास्तों, पार्क, गलियों -नालियों आदि के लिए छोड़ी गई जमीन आगे नहीं बेची जा सकेगी क्योंकि ऐसी जमीन संबंधित राजस्व रिकार्ड में एक अलग खेवट दिखाई जायेगी। इस फैसले को प्रायोगिक तौर पर मोहाली के सैक्टर -79 में लागू करने के लिए गमाडा की ओर से कार्यवाही की जा रही है। राजस्व मंत्री सुखबिंदर सिंह सरकारिया ने बताया कि कलोनाईजर द्वारा किसी प्लाट को आगे बेचे जाने पर रिकार्ड को इस तरीके से अपडेट किया जायेगा कि उस प्लाट संबंधित ततीमा और फील्ड बुक तैयार की जायेगी, जिससे हरेक प्लाट को राजस्व रिकार्ड में एक यूनीक नंबर मिल जायेगा। उन्होंने बताया कि ऐसा करने के लिए रिहायशी कलोनियों के नक्शों को राजस्व नक्शे पर अंकित किया जायेगा। अब खरीददार के नाम खरीदे गए विशेष प्लाट की ही रजिस्टरी होगी न कि पहले की तरह कालोनी के कुल क्षेत्रफल में से कुछ हिस्सों की। इससे जमीन के एक से अधिक बार बिकने या हिस्से से अधिक या सांझी जगह के बिकने का झंझट ़खत्म हो जायेगा। जब प्लाट आगे किसी को बेचा जायेगा तो खरीददार को स्वामित्व संबंधी राजस्व रिकार्ड को देखने और समझने में कोई दिक्कत नहीं आयेगी और बैंकों को कर्ज देने के समय पेचीदा राजस्व रिकार्ड के कारण होने वाली समस्याएं खत्म हो जाएंगी। राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव -कम -वित्तीय कमिश्नर राजस्व एम.पी. सिंह ने बताया कि इस कदम से अनावश्यक मुकदमेबाजी से राहत मिलेगी और राजस्व रिकार्ड भी आम लोगों की समझ आयेगा। उन्होंने बताया कि राजस्व विभाग ने निवासियों को पारदर्शी ढंग के साथ सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से कई सुधारवादी कदम उठाए हैं, जिसके अंतर्गत पंजाब भर में जमीन-जायदाद की ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन पहले ही शुरू की जा चुकी है। इसके अलावा अब कोई भी व्यक्ति राजस्व विभाग की वेबसाईट से मुफ्त में विभिन्न तरह के वसीकों संबंधी फार्म डाउनलोड करके खुद भर सकता है, जिससे लोगों की करार-नवीसों या वकीलों पर निर्भरता घटी है।