राज्य में आधी रह गई बिजली की मांग

जालन्धर, 14 अक्तूबर (शिव शर्मा) : खरीफ का सीज़न समाप्त होने पर सर्दियों के शुरू होने पर अब पंजाब में बिजली की मांग आधी रह गई है। जिस कारण पावरकाम अपने सभी थर्मल प्लांट बंद करके सिर्फ निजी क्षेत्रों के थर्मल प्लांट से ही बिजली की पूर्ति कर रहा है। अब तक तो खरीफ के सीज़न में रोज़ाना 2750 लाख यूनिट बिजली सप्लाई हो रही थी जो कि 12600 मैगावाट थी। अब इसकी मांग घटकर 5500 से लेकर 6000 मैगावाट तक रह गई है। जबकि पावरकाम के सूत्रों का कहना है कि रात को तो यह और भी कम हो जाती है। सूत्रों ने बताया कि बिजली की मांग घट जाने के कारण बैंकिंग क्षेत्र या दूसरे राज्यों को बिजली देने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बैंकिंग प्रणाली में 300 मैगावाट बिजली देने का काम शुरू कर दिया गया है जिन राज्यों से गर्मियों में बिजली ली गई थी, उसको वापिस करनी शुरू कर दी गई है। इसके अतिरिक्त 15 अक्तूबर के बाद राज्यों को बिजली वापिस करने का कार्य में बढ़ा दिया जाएगा जो कि 600 मैगावाट पर 1 नवम्बर के बाद 1200 मैगावाट बिजली वापिस देनी शुरु होगी। उत्तराखंड व आंध्रा से बिजली ली गई थी जो कि वापिस दी जा रही है और अधिक बिजली देने के लिए राजस्थान, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के बातचीत की जाएगी। जितनी अधिक बिजली दूसरे राज्यों को दी जाएगी, वह 15 जून 2019 को वापिस लेने का काम शुरू कर दिया जाएगा। पावरकाम ने वैसे भी रोपड़ और लहिरा मोहब्त को इस कारण बंद कर दिया है क्योंकि उसको निजी क्षेत्र से बिजली की खरीद करनी ज़रूरी है। नहीं तो उसके बिना प्रयोग किए बिजली पर जार्चिज देने पड़ेंगे जो कि वार्षिक 1500 से लेकर 2000 करोड़ तक पहुंच जाते हैं। औद्योगिक क्षेत्रों को 31 अक्तूबर के बाद रात को और सस्ती बिजली देने की घोषणा तो की जाती है परंतु औद्योगिक क्षेत्र की बिजली इस समय पहले ही काफी महंगी हो चुकी है। कभी 5 रुपए प्रति यूनिट कही जाने वाली बिजली अब 9 रुपए से 10 रुपए देने पड़ रहे हैं। इस समय वैसे उपभोक्ताओं के बिजली के बिल कौन सी दरों के साथ बनाए जा रहे हैं, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। उपभोक्ताओं को गलत, भारी रकमों और पुराने बकाया डालकर बिल भेजे जा रहे हैं। बिजली कार्यालयों में बिल ठीक करवाने जाते लोगों की संख्या देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों के कितनी बड़ी संख्या में गलत बिल बनाकर भेजे जा रहे हैं। उपभोक्ताओं को बिल ठीक करवाने के लिए परेशान होना पड़ रहा है जबकि बिलों को ठीक करने के बाद सिस्टम में इसको ठीक नहीं किया जाता है जिस कारण गलत बिल बार-बार बनाकर भेजे जा रहे हैं। इस  मुद्दे पर पावरकाम के अधिकारी भी चुप हैं जबकि बिल प्रणाली में सुधार करने के लिए कोई नीति नहीं बनाई जा रही है।