ट्रेन के सफर में भी मिलेगा लग्ज़री होटल का मज़ा

नई दिल्ली, 18 अक्तूबर (एजैंसी) : रेलवे के आलाधिकारियों के लिए इस्तेमाल होने वाले रेलवे सैलून अब आम आदमी को भी ये सेवा मुहैया करवाएंगे। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने आईआरसीटीसी को निर्देश दिए हैं कि जो सैलून अब तक रेलवे अधिकारियों के लिए इस्तेमाल होते हैं, वे अब कमर्शियल होंगे। यानी आम लोगों को वो सेवा तो मिलेगी लेंगी, उसके लिए शुल्क देना होगा। खास तरह के डिब्बों को कहते हैं सैलून : आईआरसीटीसी ने सैलून की पहली सेवा पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से शुरू की थी। दरअसल, रेलवे के अधिकारियों के लिए अंग्रेज़ों के जमाने से ही खास तरीके के कोच बनाए गए थे, जिनमें डाइंग, डाइनिंग, किचन और दो बैडरूम होते हैं। इस तरह के खास डिब्बों को सैलून कहा जाता है। इसमें हर एक बैडरूम में अटैच्ड टॉयलेट-बाथरूम होते हैं। रेल लाइन पर यह चलते फिरते लग्जरी होटल की तरह होते हैं।क्यों बनाए गए सैलून : मार्च में आईआरसीटीसी ने भारत का पहला एयर कंडीशनर सैलून खोला था। शुरुआती दिनों में ये बस रेलवे अधिकारियों के लिए ही था। ऐसे सैलून में आ दो परिवार के साथ रह सकते हैं। रेलवे के पास 336 ऐसे सैलून हैं, जिसमें 62 में एयर कंडीशन है। अंग्रेज़ों के जमाने में जब देश के दूरदराज के इलाकों में रेल लाइन बिछाई जा रही थी, और वहां ठहरने का समुचित इंतजाम नहीं होता था, तो इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे में सैलून का इंतजाम किया गया। आज़ादी के बाद यह व्यवस्था उसी तरह से जारी है। देशभर में सभी रेलवे  डिवीजनों में डीआरएम और एडीआरएम के लिए सैलून की व्यवस्था रहती है। रेल मंत्री बनने के बाद पीयूष गोयल ने सैलून की पॉलिसी में सुधार किया गया और कहा कि ज़रूरी होने पर ही सैलून का इस्तेमाल किया जाए। साथ ही खाली खड़े रेलवे सैलून को आम यात्रियों को देने की नीति भी बनाई गई।