प्राकृतिक खूबसूरती से भरपूर गालापगोस

द्वीपों की यात्रा करना मुझे हमेशा अच्छा लगता रहा है। दूरदराज के द्वीप, मुख्य भूमि से कटे हुए, बहुत दूर समुद्र के बीच, अपने विशेष इकोसिस्टम के कारण हमेशा मेरे कौतुहल का विषय रहे हैं। चार्ल्स डार्विन ने गालापगोस के विशिष्ट प्राकृतिक इतिहास के राज खोले, सोकोट्रा (यमन के तट से 340 किमी दूर) में ड्रैगन पेड़ हैं जो इस दुनिया से बाहर के प्रतीत होते हैं, ऑस्ट्रेलिया के अंडे देने वाले स्तनधारी उतने ही विचित्र हैं जितने न्यूज़ीलैंड के न उड़ने वाले तोते और इंडोनेशिया के एक सुदूर द्वीप पर कोमोडो ड्रैगन हैं- विशाल मांसाहारी छिपकलियां।
बचपन में स्कूल की लाइब्रेरी में ‘लाइफ’ फ ोटोबुक में सीशेल्स की कुछ तस्वीरें देखी थीं और तभी से वह मेरी कल्पना में बसा हुआ है। सेशेल्स के 115 द्वीप अफ्रीका की मुख्य भूमि से 1600 किमी पूर्व में हिन्द महासागर में बिखरे पड़े हैं। पुस्तक में मैंने पढ़ा था कि मूंगे के टापुओं पर सैकड़ों विशाल कछुए आते हैं, अध्ययनकर्ता डॉल्फिन, कछुओं व विशाल नारियल के पेड़ों का अध्ययन करते हैं और ‘विधवा’ (द विडो), एक रहस्यमय काला पक्षी अपने घोंसले में उदास बैठा रहता है। तथ्य और कल्पना के चलते मैं सपनों की दुनिया में ही खोया रहता। मेरी फांसी कभी सेशेल्स के बाहर जाती ही न थी। लेकिन तीन दशक बाद आखिरकार मुझे परीकथा और तथ्य को अलग-अलग करने का मौका मिला। मेरा जॉब खतरे में थी क्योंकि जिस कंपनी में मैं काम कर रहा था, वह डूबने की कगार पर थी। मैंने इस सब की परवाह न करते हुए मुंबई से अफ्रीका के लिए एयर सेशेल्स का टिकट कटाया और हवाई जहाज में सवार हो गया। नीचे दूर तक समुद्र फैला हुआ था। जल्द ही बादलों में से निकलते हुए माहे की जेड-हरी पहाड़ियों के सोते हुए सिर दिखायी देने लगे। माहे सेशेल्स का सबसे बड़ा द्वीप है। राजधानी विक्टोरिया मेरे अनुमान से कहीं ज्यादा सुंदर दिखी। अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट और उसका दिलकश रिहायशी पड़ोस। विक्टोरिया के पीछे मोर्ने सेशेल्स नेशनल पार्क की पहाड़ियां बादलों के जंगल से ढकी हुई हैं और इनके बीच-बीच में प्लांटेशन विला व टी गार्डन हैं, जो समुद्र की सतह से 900 मी. ऊपर तक हैं। 40 किलो मी. की ड्राइव में ही हम एक तट से दूसरे तट तक पहुंच गये, खूबसूरत कुदरती नजारों को देखते हुए, और धुंध भरी ऊंचाइयों से सूरज की नरम धूप में समुद्र तट खूबसूरत लग रहे थे। 1502 में भारत आने के दौरान वास्को डी गामा ने कुछ मूंगे के टापुओं को देखा था, जिन्हें उसने अपने नाम पर एडमिरल द्वीप का नाम दिया था। लेकिन सेशेल्स में 1770 तक भी मानव आबादी नहीं थी। उस वर्ष फ्रांस ने माहे में अपनी कॉलोनी स्थापित की। 1814 में नेपोलियन से लड़ाई के बाद सेशेल्स ब्रिटेन के कब्ज़े में आ गया। ब्रिटेन ने उस पर 1976 तक राज किया। इसके बाद वह स्वतंत्र हो गया। सेशेल्स में चमगादड़ों को छोड़कर कोई जीव भूमि पर रहने वाला देशज स्तनधारी नहीं है। एक प्रजाति- सेशेल्स फ्रूट बैट- इतनी ज्यादा पाये जाते हैं कि स्थानीय लोग इसका शिकार करके इसे खाते हैं। ला प्लैन सेंट आंद्रे में एक रेस्तैरां डिस्टिलरी में ही बना हुआ है, जो जबरदस्त मांग वाली तकामाका रम तैयार करती है। मैंने स्वादिष्ट फ्रूट बैट पैटी आर्डर की। मांस का स्वाद बिल्कुल अलग था यह काला और हड्डीदार था और इसका स्वाद टूना व बीफ  के जैसा थोड़ा-थोड़ा लगा। इस सबके बावजूद मैं उन पक्षियों व पेड़ों को देखने का इच्छुक था जो बचपन से मेरी कल्पना व सपनों का हिस्सा बन गये थे। माहे में मैंने सेशेल्स नीला कबूतर, सेशेल्स सनबर्ड, सेशेल्स बुलबुल को देखा, जो दिखने में काफी आम लगे। दुर्लभ सेशेल्स काले तोते को देखने व द विडो के रहस्य को जानने के लिए मुझे अन्य द्वीपों पर जाना था। एक द्वीप से दूसरे द्वीप जाने में काफी पैसा खर्च होता है। लेकिन हाई-स्पीड कटमरैन फेरी जो माहे से पास के प्रसलिन व ला डिगुए तक जाती हैं, आरामदायक व विधाजनक हैं।ला डिगुए पर मुझे ‘द विडो’ का रहस्य समझ में आ गया। यह नर पक्षी बिलकुल वैसे ही काले रंग का है, जैसे ईसाई मय्यत में पहना जाता है, इसलिए फ्रेंच इसे ‘ला वयूवे’ कहने लगे, जिसका अर्थ विधवा है। अब इस छोटे से द्वीप पर 200 से भी कम ‘द विडो’ बचे हैं। प्रसलिन, जो दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है, में मैं वल्ली डे मई नेचर रिजर्व गया जोकि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। इस प्यारे से वन में लुप्तप्राय: पाम है जिस पर दुनिया का सबसे बड़ा फ ल कोको डे मेर आता है, जिसका वजन 20 किलो होता है। गेकोक (एक प्रकार की छिपकली) पाम पर चढ़ गई और धुंए के रंग के तीन पक्षी फू लों को खाते हुए दिखाई दिए।  ‘तुम बहुत किस्मत वाले हो, काला तोता!’ हमारा गाइड उत्साह से चिल्लाया। मैं वहां खड़ा था और मेरे सपने सच हो रहे थे। मैं सेशेल्स के राष्ट्रीय पक्षी को, उसके राष्ट्रीय पेड़ पर उसके राष्ट्रीय प्रतीक (कोको डे मेर) के साथ देख रहा था। मुझे इस ईडन (जन्नत के बाग) में ला बसे के खजाने से भी कीमती खजाना मिल गया था।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर