हिमालय पर्वत के सात सरोवरों की धरती सहसर ताल

हिमालय पर्वत हमेशा ही हमारे लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। इस पर्वत की खूबसूरत झीलों, नदियों और बर्फानी चोटियों का नज़ारा दिलकश अंदाज़ रखता है। इस बार हम आपको हिमालय पर्वत की बर्फानी चोटियों की छाया में बहते सात सरोवरों की यात्रा करवा रहे हैं, जिसको ‘सहसर ताल’ या ‘सहसतर ताल’ के नाम से जाना जाता है। वैसे इनके अलग-अलग नाम भी हैं, जैसे कि लमताल, कोकल ताल, ढुंडी ताल, परी ताल, दर्शन ताल तथा गौमुख ताल आदि। सात सरोवरों की यह धरती जो स्वर्ग जैसा नज़ारा पेश करती है, की ऊंचाई समुद्र तल से 14,000 फुट से लेकर 15,090 फुट तक है। सहसर ताल की चढ़ाई का सफर लगभग 5-6 दिनों का है। इस सफर के लिए हमें ऋषिकेश से उत्तर काशी तक बस का सफर गंगा नदी के साथ-साथ करना पड़ता है। फिर उत्तर काशी से मल्ला गांव बस जाती है। इससे आगे पैदल यात्रा शुरू हो जाती है। मल्ला गांव से गंगा नदी को पार करके ‘शिला’ नाम का गांव आता है और इससे आगे जंगल का खूबसूरत पर्वत पार करने के बाद ‘छन्नी’ गांव के दर्शन होते हैं। इससे आगे शांत और अजीब से प्राकृतिक रहस्य से भरे ‘बाहरी’ नाम का स्थान आता है, जो 11,500 फुट की ऊंचाई पर है। इस दिलचस्प यात्रा का अगला चरण ‘किआरकी’ खाल है, जो लगभग 13,400 फुट की ऊंचाई पर है। फिर 6 घंटे की यात्रा करने के बाद 4330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ‘लंबताल’ पहुंचा जा सकता है। इसके बाद चार घंटे और पैदल यात्रा करने के बाद ही सात सरोवरों की रमणीक धरती सहसर ताल के दर्शन होते हैं। तीन तरफ से हिमालय की बर्फानी चोटियों से घिरा सहसर ताल गोल आकार है, जहां अनेक ही मंत्रमुग्ध करने वाले झरने बहते हैं। 

—के.एस. अमर