मीठा ज़हर चाय और कॉफी

दुनिया में 99 फीसदी से अधिक लोग चाय या कॉफी के आदी हो गये हैं। कोई घर ऐसा नहीं जहां चाय नहीं बनती हो। अब तो धार्मिक स्थलों पर भी चाय के लंगर चलते हैं। चाय का कप पी लिया, थकावट दूर और शरीर तरोताजा। फिर किस तरह चाय मीठा ज़हर और शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। चाय के आदी को अगर समय पर चाय न मिले तो उसका सिर दर्द होता है, आलस पड़ जाता है और कोई काम करने को दिल नहीं करता। चाय का कप मिल गया, शरीर फिर तरोताजा। क्या फिर चाय का नशा नहीं है?चाय पत्ती के रासायनिक तत्व निम्नलिखित हैं— पानी 6 फीसदी, काफिन 2 फीसदी और ज़हरीले तत्व 8 फीसदी, एल्बिमन 17 फीसदी, टैनिक एसिड 17 फीसदी, पैक्टिन 2 फीसदी डिक्टाइन 2 फीसदी, सैलूलोस 26 फीसदी, पैपटिक एसिड 3 फीसदी, क्लोरोफिल और रेशा 4 फीसदी और नमक 7 फीसदी। चाय से कैफिन और अन्य ज़हरीले तत्व खून में मिलकर शरीर के सारे अंग, दिल, गुर्दे, तिल्ली लिवर और दिमाग में चले जाते हैं। समय पाकर इन अंगों में काफिन तथा अन्य ज़हरों की मात्रा बढ़ती ही जाती है। खून दूषित और गाढ़ा हो जाता है और खून की नाड़ियों में भी कैफिन और ज़हर जम जाते हैं, जिस कारण खून की नाड़ियां सख्त और तंग हो जाती हैं। सख्त और तंग नाड़ियों में गाढ़े खून का संचार करने से दिल का अधिक ज़ोर लगता है, अधिक जोर लगने के कारण दिल की मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं। दिल की मांसपेशियों को खून का संचार करने वाली नाड़ियों, दिल की सख्त मांसपेशियों में दब जाती हैं, जिस कारण दिल को खून और आक्सीज़न का संचार कम हो जाता है। दिल के कुछ सैल्स भी मर जाते हैं और दिल कमज़ोर हो जाता है। दूषित खून के कारण तिली और गुर्दे भी खराब हो जाते हैं। नज़र कमज़ोर हो जाती है। नींद कम हो जाती है, घुटने दर्द करते हैं। शूगर और दिल के भयानक और लाइलाज रोग लग जाते हैं। शरीर भी कमज़ोर हो जाता है। इतने रोग लगने के कारण डाक्टरों की फीसें और दवाइयों पर अधिक खर्च होता है, जिससे समय भी खराब होता है। कई तो कहते हैं कि हमारी चाय क्या चाय है। दूध में ही पत्ती डाली है। चीनी और दूध में ज़हरीले तत्व नहीं होते हैं। ज़हरीले तत्व  चाय पत्ती में हैं। हो सकता है चाय पत्ती में तम्बाकू की मिलावट हो। बिना मिलावट वाली चाय पत्ती भी शरीर के लिए हानिकारक है। चाय एक मीठा ज़हर है और धीरे-धीरे शरीर को रोगी कर देती है। छोटे बच्चों को भी माताएं चाय पिलाती हैं या बच्चे के दूध में चाय पत्ती डालती हैं। बच्चे बहुत ही कोमल होते हैं, चाय पत्ती में बड़े ही भयानक ज़हर हैं। डब्ल्यू.एच.ओ. के सर्वेक्षण से पता चलता है कि हमारे देश भारत में 500,000 से अधिक बच्चे (8 से  14 वर्ष उम्र) शूगर रोग से पीड़ित हैं और कई बच्चे तो जन्म से ही दिल के रोगी हैं। कुछ लोग तो एक दिन में 10 से 15 कप चाय पी जाते हैं। अगर एक कप में 15 ग्राम चीनी है, तो एक दिन में 150 से 225 ग्राम तक चीनी खा जाते हैं। क्या हर रोज इतनी चीनी खाने से दांत दर्द नहीं करेंगे? क्या शुगर जैसे भयानक रोग नहीं लगेंगे। एक दिन में 40-50 ग्राम से अधिक चीनी नहीं खानी चाहिए। शुगर के रोगी चाय को मीठा करने के लिए चाय में शुगर फ्री गोली डालते हैं। कई तो बिल्कुल फीकी चाय पीते हैं। आश्चर्य वाली बात है कि चाय पीने के कारण शुगर का रोग लगता है, चाय पीनी नहीं छोड़ी, मीठी नहीं तो फीकी ही सही। चाय पीने की आदत छोड़नी बहुत कठिन है। रोग लग जाए तो भी चाय पीनी नहीं छोड़नी। हमारे देश के लोगों को आरोग्य और तंदुरुस्त रखने के लिए प्रकृति ने हमारे देश में चाय और तम्बाकू के पौधे पैदा नहीं किए थे। यूरोप के लोग जिस देश में गए, तम्बाकू और चाय साथ लेकर गए। यही रोगों का कारण है। हमारे देश के ऋषियों-मुनियों, गुरुओं-पीरों की पवित्र धरती को शराब, तम्बाकू और चाय ने दूषित करके लोगों को रोगी कर दिया है। रोगी व्यक्ति लम्बी उम्र नहीं भोग सकता। जहां भी कुछ लोग इकट्ठे हुए, एक ही बात चलती है। कोई कहता है, मैं बी.पी. का रोगी हूं, कोई कहता है कि मुझे शुगर हो गई है, कोई घुटनों की दर्द बताता है। किसी भी अस्पताल या डाक्टर की दुकान पर जाएं रोगियों की भरमार है। कुछ लोग मांस, शराब, हर प्रकार के नशे से दूर रहते हैं, फिर भी वह इन बीमारियों से ग्रस्त हैं। कारण हैं? वह लोग चाय पीने के आदी हैं और चाय ही इन रोगों का कारण है। कॉफी—कॉफी पीना बड़पन माना जाता है। कॉफी में कोई भी खुराकी तत्व नहीं हैं, लेकिन इसमें चाय पत्ती से भी ज्यादा ज़हरीले तत्व हैं। जीवन तो पहले ही बहुत छोटा है। यह जन्म बहुत दुर्लभ है। चाय और कॉफी जैसे नशे से जीवन व्यर्थ न गंवाओ। इसको अच्छे ढंग से व्यतीत करना ही समझदारी है। सुबह का समय और नाश्ता— पुराने समय में लोग सुबह के समय दही, लस्सी, मक्खन, रोटी और आम का अचार लेते थे। आजकल सुबह के समय में चाय और बिस्कुट का नाश्ता आ गया है। सन् 1965 से पहले हमारे देश में बहुत कम लोग चाय पीते थे। शुगर तथा दिल के रोगों का किसी को पता ही नहीं था। सरकारी अस्पताल में सिर्फ एक डाक्टर होता था। चाय चाहे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, फिर भी इसने बहुत कम समय में सबको अपनी चपेट में ले लिया है। कॉफी एक नई खोज है, जो चाय से भी हानिकारक है। चाय पीनी छोड़नी—एकदम चाय पीनी छोड़ने पर 6-7 दिन शरीर को तकलीफ होती है। बिना तकलीफ चाय पीनी छोड़नी है तो विधि निम्नलिखित है— देसी चाय (गर्म जल) या सौंफ के 5 चम्मच में चाय पत्ती के 5 चम्मच मिलाकर समय पर सेवन करें। इसके खत्म होने के बाद चाय पत्ती की मात्रा कम करते जाओ और देसी चाय। सौंफ की मात्रा बढ़ाते जाओ। कुछ ही दिनों में चाय पीने की आदत बिना तकलीफ के खत्म हो जायेगी। फिर चाय को घर में से ही निकाल दो। देसी चाय सारी उम्र पी सकते हो, गुणकारी है। एक बार चाय पीने की आदत छोड़कर तो देखो, जीवन ही बदल जायेगा और कई भयानक और लाइलाज रोग लगने का खतरा भी कम हो जायेगा।