माता-पिता का बच्चों के प्रति व्यवहार

बच्चों पर आसपास का और परवरिश का बहुत असर पड़ता है। बच्चों का मन एक कोरी स्लेट की तरह होता है, जिस पर जो अक्षर लिखोगे वह उनके अंदर समा जाते हैं। लेकिन आजकल बच्चे कुछ ज्यादा भावुक हैं, जोकि किसी का सुना सहन नहीं करते, उनमें बगावत और हिंसक रुचियों के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
* माता-पिता को ज्यादा अपने कामकाज में व्यस्त रहना और बच्चों को नज़रअंदाज़ करना।
* माता-पिता के आपसी लड़ाई-झगड़े भी बच्चों में हिंसक रुचियां पैदा करते हैं। हर समय बच्चे को डांटना, रौब जताना और दबाकर रखना आपसी प्यार को कम करता है।
* अधिकतर माता-पिता अपनी इच्छाओं को बच्चों पर डाल देते हैं और उनकी दिलचस्पी नहीं जानते। बच्चों का मार्गदर्शन करना बहुत ज़रूरी है।
* अपने बच्चों को सुख-सुविधाएं देकर, टैक्नॉलॉजी प्रदान करके ही माता-पिता का फज़र् खत्म नहीं होता। बल्कि उनको संस्कार, सत्कार और उनकी रुचियों को समझना भी चाहिए।
* कोई गलती करने पर डांटने की बजाय उनको उस चीजों के कारणों को बताना चाहिए कि क्या गलत है और क्या नहीं। मारने से ज्यादा समझाना ज्यादा ज़रूरी है।
बच्चों पर माता-पिता का हर समय ध्यान देना ज़रूरी होता है। लेकिन हिटलरशाही से नहीं बल्कि प्यार से और दोस्ती से, ताकि बच्चे सही राह पर चल सकें।
* हमेशा खुलकर बात करना बच्चों को अच्छा लगता है। आज के समय में तो बच्चों की तरह ही माता-पिता को बन जाना चाहिए। ताकि वह आगे चलकर अच्छे समाज का सृजन 
कर सकें। 
हमेशा बच्चों के साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करना चाहिए ताकि वह अपनी बात को 
समझा सके।