बहुत उपयोगी है बांस

 

कहने के लिए तो बांस एक रूखा-सूखा और फल से विहीन, पतला और लम्बा वृक्ष भर है। इसकी पत्तियां 5 से.मी. से लेकर 30 से.मी. तक लंबी होती हैं, जो आरम्भ में चौड़ी एवं आखिर में पतली व नुकीली होती हैं। बांस में प्राय: 30 से.मी. के अन्तर पर गांठें होती हैं जिनमें से पतली टहनियां निकली होती हैं। 
बांस के वृक्ष की लम्बाई 10 से लेकर 50 मीटर तक होती है। देश के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न प्रकार के बांस पाये जाते हैं जिनकी लम्बाई भी घटती और बढ़ती रहती है। यह तो रही बांस के बारे में कुछ जानकारी। आइए, अब जरा यह देखा जाए कि बांस जैसे शुष्क, नीरस तथा फलविहीन वृक्ष का हमारे जीवन में उपयोग क्या है:-
* बांस की पतली टहनियां दातुन के रूप में प्रयुक्त की जाती हैं। बांस की दातुन नित्य करने से दांतों का रोग पायरिया नहीं होता तथा दांत स्वस्थ व मसूड़े मजबूत रहते हैं। 
* बांस की मजबूत लम्बी टहनियों से ‘खांची’ नामक एक पात्र बनाया जाता है जो खर-पतवार एवं गोबर आदि रखने के काम आता है।
* बांस के तनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर उसमें से पतले-पतले छिलके चीर कर अलग कर लेते हैं। इस पतली छिलकेदार पट्टियों से तरह-तरह के बरतन बनाते हैं। बांस के खिलौने भी इसी प्रकार से बनाये जाते हैं।
* एक प्रकार के पतले बांस से ‘बांसुरी’ भी बनायी जाती है।
* गर्मी के दिनों में पंखे भी बांस की छिलकेदार पट्टियों से बनते हैं जिनमें एक पतले बांस की ’फोंकी‘ लगी होती है जिसे हाथों से झलका कर हवा प्राप्त की जाती है।
* बांस के डेढ़ फीट टुकड़े को एक ओर से नुकीला करके खूंटा बनाया जाता है जिसे जमीन में गाड़कर उससे पशुओं को बांधते हैं।
* बांस की पतली छिलकेदार पट्टियों से ‘झपोली’ बनती है जिनमें मिठाइयां फल आदि रखकर शादी के उपहार स्वरूप दिया जाता है। देश के कुछ भागों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह ‘झपोली’ बहुतायत से बनती है।
* ‘डलिया’ और ‘डोलवी’ भी बांस से बनायी जाती है जो विविध जीवों के रखने के काम आती है। 
* मकान निर्माण में बांस का महत्त्वपूर्ण स्थान है। मंडई या कच्चा मकान (मिट्टी का) बनवाने के समय बांस के छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में ंप्रयुक्त किया जाता है। 
* पालना, पलंग, बसखटा आदि प्राय: बांस के ही बनाये जाते हैं जो लोगों के सोने के काम आते हैं। आजकल तो बांस के स्थान पर शीशम, आम आदि के भी पलंग बनते हैं मगर कुछ लोग शौक के मारे बांस के ही पलंग बनाते है।
* पतले बांस से लग्गी बनायी जाती है जिसमें छोटा हांसिया बांधकर पेड़ों से फल आदि तोड़ते हैं। नीम के पेड़ों से दातुन तोड़ने के लिए भी लग्गी इस्तेमाल की जाती है।
* बांस से सीढ़ी बनायी जाती है। सीढ़ी दो समानान्तर बांस में लम्बे टुकड़ों के बीच एक से लेकर डेढ़ फीट के अन्तर पर डण्डे लगे होते हैं, जो पेड़ों पर या मकान के छतों पर चढ़ने के काम आती है।
* लाठी, डण्डे आदि पतले बांसों से ही बनते हैं जो अंधेरे में कीड़े-मकोड़ों से हमारी रक्षा करते हैं। लाठी में गुण बहुत है, सदा रखिये संग। जहां पड़े गहरी नदी वहां बचावे अंग।
इतने पर भी बांस का उपयोग पूरा नहीं हो जाता। ईंधन के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है, यह कहने की बात नहीं है। पालने से लेकर अरथी तक बांस से ही बनती है। कुल मिलाकर एक अनुपयोगी सा दिखने वाला बांस हमारे जीवन के लिए अत्यन्त उपयोगी है, इसे नकारा नहीं जा सकता। 

गिरीश चन्द्र ओझा