ऑर्बिट बस व बरगाड़ी कांड के कितने पीड़ितों को बादल सरकार ने नौकरियां दीं : सिद्धू

अमृतसर, 27 अक्तूबर (गगनदीप शर्मा) : जौड़ा फाटक दर्दनाक रेल हादसे के मृतकों के नमित रखे श्रद्धांजलि समारोह में पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा बार-बार कैबिनट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पर निशाना साधने पर पलटवार करते हुए स. सिद्धू ने कहा कि स. बादल जरा यह बताएं कि अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने बरगाढ़ी व ऑर्बिट बस कांड के कितने पीड़ित परिवारों को नौकरियां दी हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, पूर्व कैबिनट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया और कई भाजपा नेता लाशों व चिताओं पर राजनीति पर उतर आए हैं जबकि यह समय पीड़ित परिवारों के साथ हमदर्दी करने और उनके जख्मों पर मरहम लगाने का है। स. सिद्धू ने कहा कि पूर्व उप मुख्यमंत्री स. बादल बार-बार मांग कर रहे हैं कि पंजाब सरकार रेल हादसे में मारे गए व्यक्तियों के परिवारों को 1-1 करोड़ का मुआवजा दें लेकिन सबसे पहले वह यह बताएं कि उनकी ऑर्बिट बसों के नीचे आने वाले कितने बेकसूर लोगों को बादल सरकार द्वारा मुआवज़ा व नौकरी दी गई हैं और कितने परिवारों को उन्होंने गोद लिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब का सबसे बड़ा दुखांत बहिबल कलां व बरगाड़ी कांड था। इस कांड में पुलिस की गोली लगने से दो नौजवानी की मौत हो गई थी। स. बादल इस बात का जवाब दें कि उनकी सरकार ने मृतक नौजवानों के परिवारों को कितना मुआवजा दिया था और वह खुद कितनी बार पीड़ित परिवारों के घर गए थे। उन्होंने केंद्र में सत्ता पर काबिज भाजपा का चेहरा नंगा करते हुए कहा कि जब आक्सीजन की कमी कारण उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में 325 मासूम बच्चों की मौत हो गई थी तब वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ पर अपराधिक मामला दर्ज क्यों नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार केंद्र सरकार ने यू.पी के मामले को एक हादसा मानते हुए मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्यवाही नहीं की, ठीक उसी तरह अमृतसर में भी एक हादसा ही घटा था और इसमें कोई मानवीय गलती नहीं थी। इसी प्रकार उन्होंने अन्य कई और मिसालें पेश करते हुए कहा कि लखनऊ में लालजी टंडन व तमिलनाडू में जैललिता द्वारा साड़ीयां बांटते समय मची भगदड़ में कई महिलाओं की मौत हो गई थी। तब किसी के खिलाफ कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया। आखिर में उन्होंने कहा कि अब समय है कंधे से कंधा मिलाकर पीड़ितों की मदद करने का। उन्हें दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने का बल बख्शने का। न कि ब्यानबाजी करके उनके जख्मों पर मरहम छिड़कने का।