गैस चैम्बर में बदल रही है दिल्ली

देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि लोगों को सांस तक लेने में परेशानी हो रही है। हमारे देश में पहले से कोई भी तैयारी नहीं की जाती है। देश में केन्द्र सरकार है, राज्य सरकारें हैं, मौसम विभाग है, स्वास्थ्य विभाग है आदि लेकिन सब के बावजूद किसी खतरे से निपटने के लिए कोई भी योजना पहले से नहीं बनाई जाती है। देश की राजधानी दिल्ली में बच्चों का बचपन गैस चैम्बर में जी रहा है, पल रहा है। क्या केन्द्र और दिल्ली सरकारें सभी संबंधित मंत्रालयों, विभागों से बातचीत करके पहले से सावधानी नहीं रख सकती थी। यह ज़रूरी था कि जब दिल्ली शहर की हवा प्रदूषित हवा और गैस चैम्बर में बदल गई तब हो-हल्ला मच रहा है। 
प्रदूषण न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में चिंता पैदा करने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक है। भारत की आज़ादी के बाद से तकनीकी उन्नति और तेजी से विकास ने सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। वैश्विक पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ईपीआई 2018) के अनुसार भारत  30.57 के ईपीआई के साथ 177 वें स्थान पर पहुंच गया है और यह सुनकर मन निराश हो जाता है कि देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में से एक माना जा रहा है। वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली दुनिया भर में सबसे ऊपरी स्थान पर है। इस प्रकार आज दिल्ली में होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रदूषण लोगों और पूरे शहर की सलामती के सबसे बड़े खतरों के मुख्य कारणों में से एक है।
दिल्ली चीन की राजधानी बीजिंग से भी अधिक प्रदूषित हो चली है। दिल्ली में 85 लाख से अधिक गाड़ियां हर रोज सड़कों पर दौड़ती हैं जबकि इसमें 1400 नई कारें शामिल होती हैं। इसके अलावा दिल्ली में निर्माण कार्यों और इंडस्ट्री से भी भारी प्रदूषण फैल रहा है। हालांकि इसकी मात्रा 30 फीसदी है जबकि वाहनों से होने वाला प्रदूषण 70 फीसदी है। शहर की आबादी हर साल चार लाख बढ़ जाती है जिसमें तीन लाख लोग दूसरे राज्यों से आते हैं।
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण के कारण दिल्ली में सालाना 10000 से 30000 जानें जा रही हैं । प्रदूषण हर दिन भारत की राजधानी में औसतन 80 लोगों की जान ले रहा है 
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