ऐसे मनाएं खुशियों भरी दीवाली

दीवाली से पहले और बाद के कुछ दिन तक पर्वों की कतार सी लग जाती है, तभी तो दीवाली को पर्वों का मेला भी कहा जाता है। लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार अपने घरों को सजाने-संवारने में लग जाते हैं। वातावरण में एक अलग सी खुशी छा जाती है व हर घर से पकवानों की आती सुगंध दावत का न्यौता देती प्रतीत होती है। इन त्यौहारों में दीवाली एक ऐसा विशेष पर्व है, जिसकी दस्तक काफी दिनों पहले ही सुनाई देने लगती है। मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए हरेक घर के द्वार पर मनभावन रंगोली सज जाती है। फूलों और पत्तों के बंदनवार भारतीय संस्कृति की छाप छोड़ते पवित्रता का एहसास कराने लगते हैं। इस उमंग भरे पर्व पर चाहे कितना भी आनंद मनाएं पर कुछ बातों को ध्यान में अवश्य रखें।
त्यौहार ऐसे मनाएं जो बजट में समाएं
दीवाली पर हरेक की यह चाहत होती है कि वे बाज़ारों में सजे सामान से अपने घर को सजा सकें, लेकिन बढ़ती महंगाई उन्हें कई बार सोचने को मजबूर कर देती है। ऐसा भी नहीं है कि आप खर्च को मन पर बोझ की तरह लें, बस दूसरों की देखा-देखी न करें व अपने सामर्थ्य के अनुसार और ज़रूरी सामान को ही प्राथमिकता दें। इसके लिए ज़रूरी है—
* बड़े-बड़े मॉल्स में जाने की बजाय सेल में खरीददारी करें। दीये, गिफ्ट पैक घर पर ही डेकोरेट करें।
* बाज़ार से मिलावटी मिठाई खरीदने की बजाय मिठाई घर पर बनाएं।
* दीवाली के कुछ दिनों पहले ही शुरू होने वाले ऑफर्स व डिस्काऊंट्स का फायदा उठाएं। 
* गिफ्ट चाहे कम कीमत का हो परन्तु ऐसा हो जो दूसरे के काम आए।
खुशियां न बन जाएं हादसा
दीवाली की मस्ती कई बार गम्भीर हादसों को जन्म भी दे देती हैं। इसलिए सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देना ज़रूरी हो जाता है। दीवाली की धूम-धड़ाक के बीच अपनी सुरक्षा भूल हम अक्सर पटाखे बहुत पास से जलाते हैं। कई बार तो हमें पीछे हटने का मौका भी नहीं मिलता और बम फूट जाते हैं। ऐसे में हम किसी भी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में—
* पटाखे चलाते समय बच्चों को हमेशा अपनी निगरानी में रखें।
* अपने पास रेत व पानी से भरी बाल्टी रखें और बम, फुलझड़ी या अनार जलाने के बाद उसमें फैंक दें। पटाखे छोड़ते समय सूती कपड़े पहनें, जिनसे आपका पूरा शरीर ढका हो।
* पटाखे हमेशा अच्छे ब्रांड के ही लें व एक सीमित दूरी से ही चलाएं।
मनाएं इको-फ्रेंडली दीवाली
पटाखे चलाने के बाद उनसे निकला धुआं, वातावरण को तो विषैला करता ही है, साथ में हमें भी सांस संबंधी समस्याओं से भी घेर लेता है। दीवाली की खुशी और सौहार्दपूर्ण बनाने के लिए ज़रूरी है कि इको-फ्रेंडली दीवाली मनाई जाए। ऐसे में हमेशा जूट बैग में सामान लाएं या उसमें ही गिफ्ट पैक करें।
मिट्टी के दीये जलाएं, जो वातावरण में शुद्धता लाने के साथ बिजली का बिल भी बचाते हैं। इको-फ्रेंडली पटाखे लाएं, इन्हें चलाने पर होली जैसा दृश्य दिखाई देता है।
* आर्गेनिक फूड गिफ्ट में दें या पौधे गिफ्ट करें।
त्यौहार में अपने आप को ऐसे रखें तरोताज़ा
त्यौहार के बहाने स्वयं को तरोताज़ा करने के साथ बच्चों की ऊर्जा को भी काम में लाएं। उन्हें त्यौहार के महत्त्व को बताते हुए छोटे-छोटे कामों में उनकी मदद लें। एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देने की पुरानी परम्परा से बच्चों को परिचित कराएं ताकि बच्चे प्यार और रिश्तों में अपनेपन को महसूस कर पाएं। आजकल तो अधिकतर त्यौहार अपने घर तक ही सीमित होकर रह गए हैं। आज बच्चे तरह-तरह के गैजेट्स के दीवाने हैं तो उनके जरिये भारतीय संस्कृति और रीति-रिवाज़ों से उन्हें परिचित कराएं। घर की सफाई, सजाने-संवारने तथा अन्य छोटे-छोटे कामों में उन्हें अवश्य शामिल करें। इससे आप अपनी व बच्चों की ऊर्जा उपयोग में ला पाएंगी।
इन बातों का रखें ध्यान
बहुत छोटे यानि नवजात बच्चों को पटाखों के शोर से दूर रखें, क्योंकि उनके कान अति संवेदनशील होते हैं। तेज़ आवाज़  से वे डर सकते हैं। 
हमारे बुजुर्ग कई प्रकार की सांस या अन्य बीमारियों से पीड़ित होते हैं, उन्हें भी बाहर के वातावरण में व्याप्त पटाखों के ज़हरीले धुएं व आवाज़ से दूर रखें। दीये या कैंडल्स घर में जलाते समय पर्दों या अन्य ज्वलनशील चीज़ों के पास न रखें। पटाखे चलाने वाली जगह से कोई बिजली की तार न गुजरती हो, कोई हादसा हो सकता है। अगर आप इन छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखेंगे तो अवश्य ही आप दीवाली का मज़ेर लुत्फ उठा पायेंगे।

—सरिता शर्मा