पंचायती चुनाव : आरक्षण होगा ज़िला स्तरीय आबादी पर आधारित

जालन्धर, 10 नवम्बर (मेजर सिंह): पंजाब में दिसम्बर माह करवाए जाने वाले पंचायती चुनावों में आरक्षण ज़िला स्तर पर होगा तथा हर ज़िले में आबादी के आधार पर आरक्षण निश्चित करने के अधिकार डिप्टी कमिश्नरों को दिए गए हैं। ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग द्वारा पंचायत के चुनाव 15 दिसम्बर तक करवाए जाने की पेशकश चुनाव आयोग को भेजी गई है तथा प्रादेशिक चुनाव आयोग द्वारा अगले दिनों में चुनाव कार्यक्रम बारे किसी समय भी घोषणा की जा सकती है। ग्रामीण विकास व पंचायत मंत्री स. तृप्त राजिन्द्र सिंह बाजवा ने पुष्टि करते बताया कि पंचायती चुनावों में आरक्षण ज़िला स्तर पर आबादी आधारित होगा। ज़िला आधार पर आबादी अनुसार आरक्षण के जारी आदेश को संवैधानिक उल्लंघन माना जा रहा है। ज़िला आधार पर आबादी अनुसार आरक्षण की नीति से विभिन्न ज़िलों में सरपंचों व पंचों की आरक्षित सीटों में बड़ा अंतर रह जाएगा। कई ज़िलों में अनुसूचित जातियों की आबादी 45 से 55 प्रतिशत तक बताई जाती है तथा कई ज़िलों में इन वर्गों की आबादी 20 प्रतिशत के निकट है। इस तरह नए फार्मूले अनुसार कुछ ज़िलों में आरक्षण 50 प्रतिशत तक होगा तथा कुछ ज़िलों में 20 प्रतिशत के लगभग। इससे पहले हमेशा हर तरह के चुनाव में आरक्षण का आधार राज्य स्तर पर ही 33 प्रतिशत रखा जाता है। लोक सभा व विधानसभा सीटों में राज्य स्तर पर ही सीटों का आरक्षण होता है। पिछले वर्षों में पंचायती चुनावों में भी सरपंची व पंची की सीटें 33 प्रतिशत संवैधानिक फार्मूले तहत ही आरक्षित की जाती रही हैं, परन्तु नए आदेश अनुसार कई ज़िलों में आरक्षण 33 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत तक होगा, जिसको गैर-संवैधानिक माना जा रहा है। डिप्टी कमिश्नर जालन्धर वरिन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि जालन्धर ज़िले में 49 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जातियों से संबंधित है तथा नए आदेश तहत ज़िले में 49 प्रतिशत सरपंचियां व पंचियां अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित होंगी। 49 प्रतिशत आरक्षित सीटों में से आधी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। शेष आधी सीटों पर कोई भी पुरुष-महिला एस.सी. चुनाव लड़ सकेगा। 51 प्रतिशत गैर-आरक्षित सीटों में भी आधी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी तथा शेष आधियों पर कोई भी पुरुष-महिला चुनाव लड़ सकेगा। अहम बात यह कि एस.सी. महिला हर कैटागरी में चुनाव लड़ने की हकदार होगी। कांग्रेस के लोकसभा सदस्य चौधरी संतोख सिंह भी सरकार के इस फैसले पर काफी हैरानगी व शशोपंज व्यक्त कर रहे थे। पूर्व पंचायत मंत्री व अकाली नेता स. सिकंदर सिंह मलूका ने बताया कि सरकार का नया आदेश पूरी तरह पंजाब पंचायती कानून के उल्ट है। आरक्षण ब्लाक स्तर की जगह ज़िला स्तर पर करने का संशोधन तो सरकार ने पिछले अधिवेशन में कर लिया था। पंचायती कानून में आरक्षण केवल 33 प्रतिशत ही है तथा किसी भी ज़िले में आबादी अनुसार बढ़ाना कानून का उल्लंघन होगा।