‘मी-टू’ मुहिम के बाद अब ‘हनी-ट्रैक’ पर उठने लगी अंगुली

बठिंडा छावनी, 10 नवम्बर (परविन्द्र सिंह जौड़ा): विश्व स्तर पर बड़ी चर्चा का विषय बनी व कई प्रसिद्ध हस्तियों के वजूद को ‘मिट्टी’ में मिलाने वाली मुहिम ‘मी-टू’ जिसने महिलाओं के साथ हुईं अनेकों मर्दानवी ज्यादतियों को बेपर्दा ही नहीं किया, बल्कि दुनिया को हिलाकर भी रख दिया है, के बाद अब ‘हनी-ट्रैक’ पर उंगली उठने लगी है। ‘हनी-ट्रैक’ मामलों में कुछ महिलाओं द्वारा अमीरज़ादों को पहले ‘जाल’ में फंसाया जाता है तथा बाद में उनको ‘पीटा’ व ‘लूटा’ जाता है। इन घटनाओं के ‘शिकार’ कई बार मध्यवर्गीय परिवारों के पुरुष भी बन जाते हैं। ऐसे काम करने वाली महिलाएं अकेली नहीं होतीं, बल्कि उनके साथ दो से अधिक पुरुषों का टोला होता है तथा कई मामलों में तो कुछ ‘भ्रष्ट’ पुलिस कर्मचारियों की शिरकत भी होती है। ‘हनी-ट्रैक’ मामलों में फंसे पुरुषों की हालत ‘चोर दी मां ते कोठी च मुंह’ वाली होती है। वह अपने साथ घटे ‘दर्द’ को साथ ही लेकर मर जाते हैं, परन्तु किसी से बात का खुलासा नहीं कर पाते। पहले-पहल ‘हनी-ट्रैक’ की एक-दो घटनाएं महानगरों या बड़े शहरों में ही घटती थीं, परन्तु अब इसने छोटे शहरों, कस्बों, मंडियों व गांवों को भी अपनी आगोश में ले लिया है। फेसबुक व वट्सअप जैसी सोशल साइटों ने इन घटनाओं को बढ़ने-फूलने में अधिक अवसर प्रदान किए हैं। क्या है ‘हनी-ट्रैक’? ‘हनी-ट्रैक’ हुसन के जलवे में महिलाओं द्वारा पुरुषों को ब्लैकमेल करने का अनैतिक धंधा है। इस गोरख-धंधे में लिप्त महिला किसी अमीर या रसूखवान पुरुष को रची योजना तहत अपने ‘जाल’ में फंसाती है तथा फिर ‘विश्वास’ बनाकर पूरी योजना तहत उसको एकांत घर या अन्य जगह पर बुलाया जाता है। महिला द्वारा ‘शिकार’ से शारीरिक संबंध बनाए जाने दौरान या इसके तुरंत बाद महिला के पुरुष साथी घर में दाखिल होते हैं। जो नाटकीय ढंग से ‘शिकार’ की बेरहमी से मारपीट करते हैं तथा उसकी वीडियो बनाई जाती है। कई मामलों में तो ‘शिकार’ को यातनाएं देकर मारने, तेल डाल कर जलाने, पुलिस के हवाले करने, मैडीकल करवाने व वीडियो वायरल कर ‘बदनाम’ करने की धमकियां भी दी जाती हैं। बुरी तरह मारपीट का शिकार व बदनामी होने से डरता ‘शिकार’ हर शर्त मानने के लिए मिन्नतें करता है। यहीं लाखों रुपए की सौदेबाज़ी शुरू होती है। यदि मामला उलझता दिखे या शीघ्र ‘मोटी’ राशि का ‘जुगाड़’ न हो तो मामले में ‘विचौलिए’ दाखिल हो जाते हैं तथा ‘जाते चोर दी पग ही सही’ वाली कहावत अनुसार ‘जो’ मिले व ‘जितना’ मिले,लेकर शिकार को छोड़ दिया जाता है। ‘हनी-ट्रैक’ के कुछ मामले : ‘हनी-ट्रैक’ के बहुत से मामले तो बदनामी के डर के कारण उजागर ही नहीं होते तथा ‘शिकार’ हुआ पुरुष ‘जान बची तो लाखों पाए’ वाली कहावत अनुसार सारी आयु बात ‘पेट’ में ही रखता है। फिर भी बठिंडा ज़िले से संबंधित घटे ‘हनी-ट्रैक’ के कुछ मामलों के ब्यौरे साझे किए जा रहे हैं। बठिंडा ज़िले के नथाना ब्लाक अधीन एक गांव के ‘धनाढ्य’ किसान को नहर किनारे बसे एक गांव की महिला ने ‘हनी-ट्रैक’ का शिकार बनाया तो इस मामले में उस समय के थाना प्रमुख की शिरकत भी सामने आई थी। मामला उजागर होने पर थाना प्रमुख को निलम्बित कर दिया गया जिसको बाद में बहाल भी कर दिया गया।