आसिया नूरीन के लिए इस्लामी कट्टरपंथियों से खतरा बरकरार


अमृतसर, 13 नवम्बर (सुरिन्द्र कोछड़): पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते कुफर केस की आरोपन मसीही महिला बीबी आसिया नूरीन की मौत की सज़ा चाहे समाप्त कर दी है परन्तु इस्लामी कट्टरपंथियों से उसकी ज़िंदगी के लिए खतरा अभी भी बरकरार है जिससे उसको गुप्त जगह पर भारी सुरक्षा में रखा गया है। कट्टरपंथियों द्वारा लगातार रोष प्रदर्शन करते उसको फांसी दिए जाने की मांग की जा रही है तथा आम नागरिकों को भावनात्मक तौर पर गुमराह कर आसिया का कत्ल करने के लिए सार्वजनिक तौर पर प्रेरित किया जा रहा है।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि आसिया के पति ने ब्रिटेन, अमरीका व कैनेडा की सरकार को अपील की थी कि उसकी पत्नी को तब तक खतरा है, जब तक वह पाकिस्तान में है जिसके बाद उसके पारिवारिक सदस्यों को बहुत से देशों की सरकारों द्वारा पनाह देने की पेशकश की गई तथा अब आसिया का परिवार पाकिस्तान छोड़ कर किसी और देश चला गया है जबकि आसिया के परिवार सहित पाकिस्तान छोड़ कर नीदरलैंड या किसी अन्य देश जाने की खबरों का खंडन करते पाकि विदेश विभाग के प्रवक्ता डा. मुहम्मद फैज़ल ने कहा कि आसिया के देश छोड़ने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। उनके अतिरिक्त सूचना व प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने भी ऐसी रिपोर्टों को सिरे से खारिज किया है। इसी दौरान नीदरलैंड के विदेश मंत्रालय ने भी ऐसी खबरों को खारिज किया है जिनमें कहा गया है कि आसिया के वकील को शरन देने के कारण सुरक्षा के खतरे के कारण पाकि स्थित नीदरलैंड दूतावास बंद रहा जबकि उधर कैनेडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि कैनेडा एक वेलकमिंग कंट्री (स्वागत करने वाला देश) है तथा पाकिस्तान में ईशनिंदा (कुफर) के आरोप में बरी की गई इसाई महिला आसिया बीबी को पनाह देने के लिए पाकिस्तान सरकार से बातचीत की जा रही है। वर्णनीय है कि वर्ष 2009 में कुएं से पानी लेने पर हुए विवाद के दौरान पांच बच्चों की मां आसिया नूरीन पर इस्लाम की बेअदबी करने का आरोप लगाया गया तथा निचली अदालत ने उसको आरोपी करार देते हुए मौत की सज़ा सुनाई थी जिसको वर्ष 2014 में लाहौर हाईकोर्ट ने बरकरार रखा। 8 वर्ष तक मुल्तान की जेल में रहने के बाद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस मीयां साकिब निसार के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बैंच ने आसिया बीबी पर लगाए कुफर के आरोपों सहित हाईकोर्ट व ट्रायल कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए उसको रिहा कर दिया।