जलियांवाला बाग कांड का शताब्दी वर्ष केवल बयानों तक सीमित

अमृतसर, 14 नवम्बर (सुरिंदर कोछड़) : 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए खूनी कल्लेआम की याद को समर्पित वर्ष 2019 को शताब्दी वर्ष के तौर पर मनाने का ऐलान सिर्फ बयानों तक सीमित हो कर रह गया है। इस शताब्दी वर्ष के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी किए जाने के बावजूद बाग समारक में किसी प्रकार का कोई नवर्निर्माण शुरू नहीं किया गया है और न ही शताब्दी वर्ष के लगभग पौना वर्ष बीत जाने के बावजूद शताब्दी वर्ष को समर्पित किसी प्रकार के समागमों की शुरूआत ही की गई है। जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट के चेयरमैन और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शताब्दी समारोह और बाग के सुंदरीकरण के लिए जो 100 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी की गई है, उससे अप्रैल 2019 तक जलियांवाला बाग समारक में बंद पड़े लाईट एंड साऊंड शो, साके की दस्तावेज़ी फिल्म, लेज़र शो और सोविनर हाल का नवर्निर्माण करवाकर इनको सुचारु रूप में शुरू करके बाग में रेस्टोरैंट, अजायब-घर और अन्य स्मारक निर्माण किए जाने का ऐलान किया गया है। मौजूदा हालत यह है कि राष्ट्रीय व विरासती स्मारक की हैसियत रखने वाले 6.5 करोड़ में फैले जलियांवाला बाग में बड़ी संख्या में पर्यटक रोज़ाना पहुंच रहे हैं, परंतु उनको बाग में मौजूद समारकों और सन् 1919 की वैसाखी को बाग में हुए कत्लेआम के इतिहास के बारे जानकारी देने वाला कोई भी गाइड उपलब्ध न होने के कारण पर्यटकों को निराश होकर वापिस जाना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त स्मारक में न तो पीने वाले साफ पानी का कोई उचित प्रबंध है और न ही पर्यटकों के बैठने के लिए योग्ग प्रबंध किए गए हैं। उधर उक्त स्मारक की देख-रेख के लिए सन् 1951 में गठित किए गए जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट के सचिव एस.के. मुखर्जी का कहना है कि बाग में ट्रस्ट की संपत्ति के रूप में मौजूद पुराने समय का बना एक घर को बड़ी जदोजहद  से कब्ज़ाधारियों से खाली करवाया गया है । इस घर में शहीद ऊधम सिंह के नाम पर लाईबे्ररी खोले जाने की योजना बनाई गई है, परंतु इस घर  की खस्ता हालत दीवारों पर खिड़कियों दरवाजों की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि इस का बड़ा हिस्सा कभी भी दर्शकों पर गिरकर बड़े हादसे को जन्म दे सकता है। मुखर्जी के अनुसार उक्त यादगारी घर के रख-रखाव और इसमें शहीद ऊधम सिंह लाईब्रेरी कायम करने संबंधी केन्द्र सरकार से कई बार मांग की गई है, पंरतु अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।