क्या अब जागेगी पंजाब सरकार !

हरिके पत्तण, 15 नवम्बर (संजीव कुन्द्रा): सतलुज दरिया में मिल रहा बड़े शहरों की फैक्टरियों का कैमीकल युक्त ज़हरीला पानी कई दशकों से पर्यावरण का विनाश कर मानवीय व जलचर जीवों को मौत बांट रहा है परन्तु सरकारों को इसको रोकने के लिए सिवाए झूठे दावों से कुछ भी नहीं किया तथा पंजाब सरकार की अनदेखी व राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) ने मोहर लगाते हुए सरकार को 50 करोड़ रुपए का जुर्माना किया है। वर्णनीय है कि जालन्धर, लुधियाना जैसे शहरों में लगे उद्योग सरेआम प्रदूषित पानी दरियाओं में मिला रहे हैं तथा रसायन भरा बदबूदार काला पानी दरियाओं में ज़हर घोल रहा है, हर रोज़ लाखों-करोड़ों लीटर गंदगी विभिन्न ड्रेनों व नालों द्वारा सतलुज दरिया को प्रदूषित कर रही है। सतलुज दरिया का ज़हरीला पानी जब हरिके झील में आकर मिलता है तो ब्यास दरिया के साफ पानी को भी दूषित करता है तथा जो मानवता के साथ-साथ जीव-जंतुओं पर भी भारी पड़ता है। अनेकों बार जलचर जीव व मछलियां सतलुज दरिया के ज़हरीले पानी की भेंट चढ़ चुकी हैं परन्तु किसी भी सरकार ने इस घटनाक्रम को रोकने के लिए कोई कड़े कदम नहीं उठाए। ब्यास दरिया जो सतलुज के मुकाबले काफी हद तक साफ था, भी 16 मई 2018 को शुगर मिल के गर्म सीरे के रिसाव के कारण प्रदूषित हो गया तथा लाखों जलचर जीवों को निगल गया। हर बार की तरह थोड़े दिन शोर मच जाने के बाद परनाला वहीं का वहीं रह गया जिसकी हकीकत सतलुज दरिया का काले रंग का रसायन युक्त पानी वहन आज भी बयान करता है। बड़ी त्रास्दी यह है कि ब्यास सतलुज दरियाओं के संगम हरिके हैड वर्क्स जहां राजस्थान व फिरोज़पुर फीडर नहरें निकलती हैं तथा इन नहरों का पानी मालवे व राजस्थान को जाता है व लोग सिंचाई के साथ-साथ यह पानी पीने के लिए भी उपयोग करते हैं। रसायन युक्त बदबूदार पानी जिसके पास खड़े होना भी मुश्किल है तथा यह सोचने वाली बात है कि लोग इसको पीने के लिए कैसे उपयोग करते होंगे। इस ज़हरीले पानी ने मालवे व राजस्थान के लोगों को बुरी तरह अपनी चपेट में लिया है तथा लोग कैंसर, काला पीलिया व चमड़ी रोग जैसी भयानक बीमारियों के शिकार होकर मौत के मुंह में जा रहे हैं परन्तु यह घटनाक्रम कब रुकेगा। एन.जी.टी. के पंजाब सरकार पर लगाए 50 करोड़ रुपए के जुर्माने के बाद क्या अब पंजाब सरकार जागेगी।