पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार ज्यादा जलाई गई पराली : ईपीसीए प्रमुख

नई दिल्ली, 16 नवम्बर (भाषा) : उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त ईपीसीए के प्रमुख भूरे लाल ने शुक्रवार को कहा कि सख्ती के बावजूद इस साल पड़ोसी राज्यों में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाए जाने की ज्यादा घटनाएं दर्ज की गईं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने की ज़रूरत है ताकि वे पराली जलाने के चलन के विकल्प तलाश करें। पीएचडी चैंबर द्वारा ‘आर्थिक एवं पर्यावरणीय स्थिरता के लिए फसल अवशेषों के थोक उपयोग’ पर आयोजित कार्यशाला में उन्होंने कहा कि धान की पुआल उर्वरकों का एक बहुत अच्छा स्रोत हो सकती है। इसका सबसे अच्छा उपयोग इसे मिट्टी के साथ मिला देना है। दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता के लिए ज़िम्मेदार बड़े कारणों में से एक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना है। राष्ट्रीय राजधानी में पिछले बृहस्पतिवार वायु गुणवत्ता बेहद खराब हो गई थी जब पटाखों के कारण शहर में धुंध की मोटी चादर छा गई थी। वायु गुणवत्ता सूचकांक तब सबसे ऊंचा स्तर 642 दर्ज किया गया था। पर्यावरण प्रदूषण (संरक्षण एवं नियंत्रण) अधिकरण (ईपीसीए) प्रमुख ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि, इस बार ज्यादा सख्ती बरती गई, पराली जलाने की घटना पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा दर्ज की गई।’’ लाल ने कहा कि यह देखा गया है कि युवा पीढ़ी दूसरे विकल्प तलाश काने के लिए तैयार है लेकिन पुरानी पीढ़ी अब भी पराली जलाने के तरीके से ही चिपकी रहना चाहती है।