अच्छे स्वास्थ्य का रहस्य है मुस्कान


ईश्वर प्रदत्त सभी शारीरिक भंगिमाओं से उत्तम है मुस्कान। चेहरा दिल का दर्पण होता है। जो हमारे दिमाग में होता है, उसका प्रभाव चलचित्र की भांति चेहरे पर दृष्टिगोचर हो जाता है। देखने वाला पहचान जाता है कि व्यक्ति बीमार है या खुश
मनुष्य के लिए मनचाही परिस्थितियां कभी नहीं होतीं, अत: विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आपको खुश रखना एक कला है। जीवन एवं प्रकृति का घटनाक्रम स्वत: चलता रहता है। आप चिंता या फिक्र से कुछ नहीं बदल सकते, इसलिए खुश एवं तंदुरुस्त रहना स्वभाव बना लें। बात-बात पर क्रोधित होना आपके चेहरे को मुरझा देता है, अत: क्रोध से बचें। चिल्ला-चिल्ला कर व्यंग्यात्मक भाव से कटाक्ष न करें। आपकी अपनी मानसिक अवस्था भी प्रभावित हो सकती है। मित्र मंडली एवं घर में लड़ाई का माहौल न बनाएं। इससे आपके परिवार की शारीरिक अवस्था पर असर पड़ता है। दूसरों की उन्नति से प्रसन्न रहें। जलें, भुनें, नहीं अपना ही नुक्सान करेंगे।
मन और शरीर को स्वस्थ रखने का एकमात्र सुलभ एवं सस्ता उपाय है कि खुद एवं दूसरों को प्रसन्न रखें। विषम परिस्थितियों को भी सहज भाव से लें। दिमाग को संतुलित रखें। खुशी की संवेदना सदा शरीर में बहती रहे, इसके लिए हमें अपने स्वभाव में परिवर्तन लाना होगा। स्वास्थ्य, खुशी एवं हंसते रहने का चोली दामन का साथ है। तन्दुरुस्त एवं प्रसन्न व्यक्ति की बुद्धि भी प्रखर होती है। चेहरा गुलाब की तरह खिला रहता है। हर व्यक्ति उससे मिल कर खुश होता है। उसकी हर कोशिका में पूर्ण रक्त प्रवाहित होता है। मुस्कुराने के लिए होंठों का फड़फड़ाना ही पर्याप्त है। हंसमुख स्वभाव दीर्घायु का उत्तम साधन है। यदि आप दुख में भी सुख की अनुभूति चाहते हैं तो हंसमुख बनो। मुस्कुराता चेहरा सबको लुभाता है।
हंसमुख व्यक्ति कभी किसी की बात का बुरा नहीं मानता। गम्भीर से गम्भीर बात को हंस कर टाल जाता है, अत: वह कई मुसीबतों को टाल जाता है। प्रसन्न रहने से जीवन के सब दुख दूर हो जाते हैं। अपने काम में व्यस्त रहने से बड़ा आनन्द मिलता है, जिसका चित्त प्रसन्न रहता है उसका व्यवहार भी उदार हो जाता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ठहाका लगाकर हंसने से फेफड़ों में ज्यादा आक्सीजन जाती है। रक्त शुद्ध होता है। वातावरण हल्का फुल्का रहता है। आपके परिजन आपके पास बैठना पसंद करते हैं और आनन्द महसूस करते हैं। पथरी, कैंसर, अवसाद, डिप्रेशन आपसे दूर रहते हैं। यह अपने में ही कई रोगों को दूर कर देती है।
—विजेन्द्र कोहली