मामला 1984 सिख विरोधी दंगों का: यशपाल को फांसी व नरेश को उम्रकैद


जगतार सिंह
नई दिल्ली, 20 नवम्बर  : नवम्बर 1984 के दौरान देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में हुए कत्लेआम के 34 वर्ष बाद एक बड़ा फैसला आया है। दिल्ली के पटियाला हाऊस कोर्ट ने कत्लेआम से संबंधित एक मामले में आरोपी करार दिए गए यशपाल सिंह को फांसी और नरेश सहरावत को उम्रकैद की सज़ा सुनाई है और साथ ही 35-35 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया। मोदी सरकार द्वारा 2015 में 1984 कत्लेआम से जुड़े मामलों की जांच के लिए एस.आई.टी. का गठन किया था, उसके बाद यह पहली सज़ा है। फैसले के बाद सिखों ने आरोपियों की सज़ा का स्वागत किया और साथ ही कत्लेआम के प्रमुख आरोपी सज्जन कुमार पर टाइटलर को फांसी दिए जाने की मांग को दोहराया। दिल्ली के महिपालपुर में 1 नवम्बर को हरदेव सिंह व अवतार सिंह की हत्या कर दी गई थी और कोर्ट ने इस मामले में महिपालपुर निवासी यशपाल व सहरावत को आरोपी करार देकर सज़ा सुनाई है।
नाटकीय ढंग से सुनाया फैसला : आरोपियों के बारे सज़ा का फैसला बहुत ही नाटकीय ढंग से सुनाया गया। सज़ा सुनाए जाने के मद्देनज़र पटियाला हाऊस कोर्ट के बाहर दिल्ली कमेटी के पदाधिकारी मनजीत सिंह जी.के. और मनजिंदर सिंह सिरसा सहित बड़ी संख्या में सिख एकत्रित हुए थे। पुलिस और प्रशासन के मध्य में कई बैठकों के बाद यह तय किया गया कि जज कोर्ट रूम में फैसला नहीं सुनाएंगे। इसके बाद फैसला पटियाला हाऊस कोर्ट के लाकअप में सुनाया गया जबकि कई सूत्रों द्वारा यह दावा किया गया है कि फैसला तिहाड़ जेल में सुनाया गया है। फैसले के बाद दिल्ली कमेटी के पूर्व महासचिव गुरमीत सिंह शंटी ने इस को सुकून वाला फैसला करार दिया और उम्मीद जताई कि अब अन्य मामलों में जल्द ही इंसाफ मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट में सिख कत्लेआम की जांच करने संबंधी जनहित याचिका दायर करने वाले पूर्व कमेटी सदस्य गुरलाड सिंह काहलों ने भी  फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हमें अन्य मामलों के आरोपियों को सज़ा दिलाने के प्रति एकजुट होकर गंभीरता दिखानी चाहिए।
एस.आई.टी. ने की कड़ी मशक्कत : एस.आई.टी के सामने सबूत इकट्ठे करने की बहुत ही बड़ी चुनौती थी। अपने स्त्रोत द्वारा दिल्ली से लेकर इटली तक सबूतों की तलाश की और आखिरकार वह आरोपियों को सज़ा दिलवाने में कामयाब हुए। एस.आई.टी.  ने मामलों के तह तक जाने के लिए कई अखबारों में विज्ञापन देकर मामले से जुड़े तथ्य और सबूत एस.आई.टी. के पास पहुंचाने की अपील की। परिणाम स्वरूप पंजाब रह रहे पीड़ित संगत सिंह ने एस.आई.टी. से संपर्क किया और 2 सिखों की हत्या के मामले में आरोपी यशपाल और सहिरावत की पहचान की। इस तरह मृतक अवतार सिंह ने भाई रतन सिंह, जो इटली रह रहे थे, ने भी एस.आई.टी. से सम्पर्क कायम किया उपरांत अक्तूबर 2017 में भारत आकर एस.आई.टी. के पास बयान दर्ज करवाया। इसके अतिरिक्त इस मामले से संबंधित अन्यों के बयान भी रिकार्ड किए गए। वहीं प्रमुख सिख शख्सियतों ने फैसले पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
एस.आई.टी. गठित होने के बाद पहली सज़ा
सिख कत्लेआम से संबंधित मामलों की जांच के लिए मोदी सरकार ने 2015 में एस.आई.टी. गठित की थी। महिपालपुर में मारे गए हरदेव सिंह और अवतार सिंह की हत्या के मामले को एस.आई.टी. ने दोबारा खोला जबकि हरदेव सिंह के बड़े भाई संतोख सिंह द्वारा पहले दर्ज करवाए गए इस मामले में 1994 में पुलिस ने क्लोज़र रिपोर्ट देकर कहा था कि उनको इस मामले में कोई सबूत नहीं मिला है। 2015 मोदी सरकार के निर्देश पर एस.आई.टी. गठित होने के बाद यह पहला केस है जो तीन वर्षों में परिणाम पर पहुंच गया है और ज़िला जज अजय पांडे ने बुधवार को 130 पन्नों के अपने फैसले में सहिरावत व यशपाल को हत्या का आरोपी करार दिया। 
कोर्ट ने कहा कि गवाहों के बयानों से स्पष्ट है कि मृतक हरदेव सिंह व अवतार सिंह की हत्या इकट्ठी हुई उस भीड़ ने की जिसकी अगुवाई आरोपी यशपाल व सहिरावत कर रहे थे। एस.आई.टी. ने आरोप-पत्र में 18 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए।
कुल 650 केस थे दर्ज
सिर्फ 8 मामलों की हो रही है जांच

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में सिख कत्लेआम के संबंध में 650 केस दर्ज किए थे, जिनमें 267 साक्ष्यों की कमी का हवाला देकर पुलिस ने बंद कर दिए थे। इन 267 मामलों के बाद में पांच मामलों को सीबीआई. ने अपने हाथों में ले लिया था। एस.आई.टी. ने 18 रद्द किए मामलों के रिकार्ड की भी छानबीन की थी। एस.आई.टी. को 60 मामलों का पता चला था, जिनकी आगे जांच करने की ज़रूरत है। इसके इन 60 मामलों में पिछले डेढ़ वर्ष में 52 मामले साक्ष्यों की कमी के कारण बंद कर दिए थे। मौजूदा समय में एस.आई.टी. द्वारा जिनमें 8 मामलों की जांच की जा रही है, उनमें पांच में चालान पेश कर दिया है और तीन मामले जिनमें कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार शामिल है, की जांच अभी जारी है।

कैप्टन अमरेन्द्र सिंह : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने सज़ सुनाए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जघन्य अपराधों के दोषियों को अंतत: न्याय के कठघरे में लाया गया।

चंडीगढ़ (बिक्रमजीत सिंह मान): पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि यह इंसाफ की हवा का पहला बुल्ला  और इस बात का सबूत है कि केन्द्र में हुई सरकार की तबदीली हज़ारों निर्दोष सिखों को इंसाफ दिला सकती है, क्योंकि यह केस केन्द्र में मौजूद पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा बंद किए जा चुके थे। 

अकाली दल प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने फैसले पर संतोष प्रकट करते हुए कहा कि अब फांसी के रस्से का सामना करने की अगली बारी दिल्ली के दो बड़े कांग्रेसी नेताओं जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार की है। उन्होंने 1984 कत्लेआम केस में दोनों आरोपियों को क्रमवार मौत की सज़ा और उम्रकैद की सज़ा सुनाए जाने पर संतुष्टि व्यक्त की।

अमृतसर,  (राजेश शर्मा) : 1984 के सिख कत्लेआम के एक मामले में अदालत द्वारा दो आरोपियों को सज़ा देने पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने स्वागत किया है। शिरोमणि कमेटी के मुख्य कार्यालय से जारी बयान में भाई लौंगोवाल ने कहा कि यह फैसला चाहे देर से ही आया है परंतु दुरुस्त है। 

श्री आनंदपुर साहिब से सांसद और अकाली दल के सीनियर नेता प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि अदालत द्वारा दिए गए इस ऐतिहासिक फैसले पर विशेष सिख कौम और देश वासियों का कानून पर विश्वास और मज़बूत हुआ है।

डा. जसपाल सिंह : डा. जसपाल सिंह ने कहा कि इंसाफ पर हमें विश्वास था पिछले 34 वर्षों के बाद इंसाफ की दरकार और कानून की अहमियत जो मनफी हो रही थी, उस पर दोबारा विश्वास पुख्ता हुआ है।

तरलोचन सिंह :  पूर्व राज्यसभा सदस्य तरलोचन सिंह ने पीड़ितों और इंसाफ की जंग लड़ने वालों के लिए यह अच्छी खबर है। उस समय के पुलिस ने आला अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

एच.एस. फूलका : एडवोकेट एच.एस. फूलका ने जज अजय पांड को उसके दलेराना फैसले के लिए धन्यवाद  किया और कहा कि इस फैसले से अन्य मामलों में भी इंसाफ की उम्मीद जगी है।

नरेश गुजराल : राज्यसभा सदस्य नरेश गुजराल ने कहा कि बहुत लम्बे समय के बाद एक अच्छा फैसला आया है। जिससे हिन्दुस्तान में बाकी लोगों को सबक मिलेगा।

मनजीत सिंह जी.के. : दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी प्रधान मनजीत सिंह जी.के. ने कहा कि कोर्ट के फैसले से पीड़ितों को सुकून मिला है। जी.के. ने देश-विदेश में बैठे  अन्य गवाहों को भी आगे आने का निमंत्रण दिया। 

मनजिंदर सिंह सिरसा : दिल्ली कमेटी महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस को अच्छा फैसला करार देते हुए कहा कि उनका मकसद कत्लेआम के मुख्य आरोपी सज्जन और टाइटलर को भी फांसी के फंदे तक लेकर जाना है।

कुलदीप सिंह भोगल : आल इंडिया दंगा पीड़ित राहत कमेटी के प्रमुख कुलदीप सिंह भोगल ने कहा कि इस फैसले ने पीड़ितों में 34 वर्ष बाद उम्मीद की किरण जागी है। 

आर.पी. सिंह : भाजपा के राष्ट्रीय सचिव आर.पी. सिंह ने निर्णय का स्वागत करते हुए सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि दिल्ली एवं अन्य राज्यों में 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच की निगरानी के लिए गठित विशेष जांच दल के तीसरे सदस्य का नाम तुरंत अधिसूचित करे।