बहुत तेज़ होती है पक्षियों की पाचन क्रिया

पक्षियों की पाचन क्रिया बहुत तेज होती है, क्योंकि यह हर समय उड़ते रहते हैं। इसलि उन्हें अधिक ऊर्जा की भी आवश्यकता होती है। अधिकांश पक्षी दाना और बीज आदि खाते हैं। पक्षियों के गले के नीचे एक थैली सी होती है, जिसमें वे जल्दी-जल्दी अपने भोजन को भर लेते हैं। वहीं पड़ा-पड़ा वह भोजन गीला होकर नरम होता है और फिर वह उसे खा लेते हैं। ऐसा प्राय: शिकारी पक्षियों में होता है जिन्हें अपने भोजन का अन्य पक्षियों द्वारा छिन जाने का भय होता है अर्थात् रहता है। पक्षियों के दांत नहीं होते वे अपनी कठोर चोंच के साथ-साथ उनके पेट की मांसपेशियां भी काफी कठोर होती है। भोजन जब वहां पहुंचता है तो उनकी रगड़ खाकर नरम होजाता है। पाचन की इस शक्ति के कारण पक्षी छोटे-छोटे कंकर-पत्थर भी खा जाते हैं। पक्षी खाते समय अपने पंजों का भी प्रयोग करते हैं। अनेक पक्षी अपने पंजों में भोजन दबा लेते हैं और वहां से कुतरकर खाते रहते हैं। मांस खाने वाले पक्षी शिकार को अपने पंजों में दबाकर चोंच से काट कर खाते रहते हैं। पेट की मांसपेशियों की कठोरता के कारण निगला हुआ भोजन फेट में जाकर पहचता है। कुछ पक्षी ऐसे भी होते हैं जो घास तथा वृक्षों के फल आदि खाते हैं। कई पक्षियों के बारे में कहा जाता है कि भोजन उनके पेट में जाने के साथ-साथ ही पचना शुरू हो जाता है। मोर पक्षी कीड़े-मकौड़े और सांप आदि को खा जाते हैं, इसलिए जहां कुछ पक्षी हमारे लिए फायदेमंद हैं, वहां कुछ पक्षी फसलों को बरबाद भी करते हैं। वे खेतों में फैली फसल के बीजों को खोट खा जाते हैं अथवा पौधों की जब नई कोपलें निकलती है तो वह उन्हें खाना शुरू कर देते हैं। पौधों के बढ़ने पर जब उन बालियों में अनाज निकलता है तब भी वे उसका पीछा नहीं छोड़ते।

-राम प्रकाश शर्मा