न्यायाधीशों की नियुक्ति में चलेगी कॉलेजियम की राय

नई दिल्ली, 1 दिसम्बर (भाषा) : उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) कानून तथा एक अन्य संबंधित कानून को निरस्त करने वाले उसके 2015 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। वर्ष 2015 के इस फैसले के बाद उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली पुनर्जीवित हुई थी। एनजेएसी कानून 2014 में उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका की ज्यादा भूमिका की व्यवस्था थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने में 470 दिन की देरी हुई है और इसमें कोई दम नहीं है। पीठ ने 27 नवम्बर के अपने आदेश में कहा, ‘‘वर्तमान पुनर्विचार याचिका दायर करने में 470 दिन की देरी हुई है, जिसके लिए कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। पुनर्विचार याचिका केवल देरी के आधार पर खारिज किये जाने लायक है।’’ इस आदेश को शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर शनिवार को डाला गया। पीठ में न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ (अब सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी शामिल थे।