भारत-पाक को जोड़ने वाला रेलवे स्टेशन डेरा बाबा नानक 72 वर्ष बाद रिश्ता जुड़ने की आस

बटाला, 6 दिसम्बर (डा. काहलों ): गत दिनों भारत व पाकिस्तान दोनों देशों की सरकार द्वारा संगत की भावनाओं को समझते हुए डेरा बाबा नानक से श्री गुरु नानक देव जी के चरण प्राप्त ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब पाकिस्तान के दर्शनों के लिए बिना वीज़ा बिना पासपोर्ट रास्ता खोलने प्रति सहमति प्रकट की गई थी, जिस पर कदम चलाते हुए दोनों देशों की सरकार द्वारा करतारपुर साहिब तक का रस्ता बनाने के लिए नींव पत्थर रखा गया था। इस रास्ते के नींव पत्थर के बाद पाकिस्तान सरकार द्वारा करतारपुर साहिब में रेलवे स्टेशन बनाने का भी निर्णय किया गया है। वर्णननीय है कि बंटवारे से पहले सीमावर्ती कस्बा डेरा बाबा नानक से पाकिस्तान के ज़िला नारोवाल तक रेलगाड़ी चलती थी, जिस पर हजारों लोग सफर करके अपने अपने मुकाम तक पहुंचते थे और यह रेलगाड़ी लेगों को मिलाने के लिए एक कड़ी का काम करती थी। सूत्रों के मुताबिक इस रेलगाड़ी से ही व्यापार का काम बड़े स्तर पर चलता था परंतु बंटवारे के रेलगाड़ी को बंद कर दिया गया। श्री अमृतसर साहिब से डेरा बाबा नानक के इस रोलवे स्टेशन तक आज भी यह रेलगाड़ी चलती आ रही है। डेरा बाबा नानक में आज भी यह वो रेलवे लाइन मौजूद है, जिसके रास्ते पर किसी समय भारत से पाकिस्तान के नारोवाल शहर तक यह रेलगाड़ी चलती थी। गत दिनों पाकिस्तान की नई बनी सरकार और भारत सरकार द्वारा करतारपुर साहिब के रास्ते संबंधी लिए गए ऐतिहासिक निर्णय के बाद इस रेलगाड़ी के दोबारा चलने की उम्मीद दिखाई दे रही है। अगर देनों के हालातों में सुधार आता है तो वाघा बार्डर की तरह इस रेलगाड़ी को भी दोबारा चालू किया जा सकता है। स्थनीय लोगों ने इस रेलगाड़ी को दोबारा चालू करने की मांग करते हुए कहा कि यह रेलगाड़ी चलने से जहां दोनों देशों अंदर व्यापार के रास्ते खुलेंगे, वहीं दोनों देशों की गरीबी भी दूर होगी और दोनों देशों के हजारों लोगों को रोजगार मिल सकेगा। उन्होंने दोनों देशों की सरकारों से मांग की कि इस पुरातन रेलगाड़ी को भी दोबारा चालू किया जाए, ताकि दोनों देशों अंदर भाईचारक सांझ और बढ़ सके।