इमारत कानून-2018 में केन्द्र के 2005 कानूनों की छाप

जालन्धर, 8 दिसम्बर (शिव शर्मा) : एक तरफ तो नाजायज़ इमारतें बनती रही हैं परन्तु सरकार ने बिल्डिंग बाईलाज-2018 के नए कानून संशोधन कर लागू किए हैं तथा उसमें कई कानून तो केन्द्र द्वारा बनाए गए 2005 के कानून ही शामिल किए गए हैं जिनके साथ तो कई विवाद उठ खड़े होने की संभावना जाहिर की जा रही है। आर्कीटैक्ट स्वयं इन कानूनों में कई जगह कमियां होने के कारण काफी परेशान हैं। फायर सेवा के साथ संबंधित ही कानून केन्द्र द्वारा जारी वर्ष 2016 के एनबीसी (नैशनल बिल्ंिडग कोड) शामिल नहीं किए गए हैं अपितु वर्ष 2005 के कानून शामिल कर दिए गए हैं। लो इन्कम हाऊस के मामले में लैंटर डालने का कानून भी वर्ष 2005 वाला शामिल किया गया है। सरकार द्वारा जो नए इमारती कानून शामिल किए गए हैं, उनमें तो कई जगह हास्यस्पद कानून शामिल कर दिए गए हैं। प्रसिद्ध आर्कीटैक्ट प्रितपाल सिंह वालिया ने जानकारी देते हुए कहा कि एक जगह तो 200 गज के प्लाट में तीन कारें खड़ी करने के लिए जगह छोड़ने के लिए कहा गया है। यह तीन कारें हर मंजिल के लिए होंगी या फिर तीन मंजिल के लिए होंगी, इस बारे जिक्र नहीं किया गया है। यह काफी हास्यस्पद है कि कोई एक मंजिला मकान बनाता है तो वह किस तरह से तीन कारों की पार्किंग के लिए जगह छोड़ेगा जबकि उसकी समर्था तो एक कार की खरीदने की होगी। रैंप, सीढ़ियों में ही खत्म होगी होगी की ज़मीन : नए बिल्ंिडग कानूनों अनुसार तो व्यापारिक इमारतें, दुकानें बनानी आसान नहीं हैं क्योंकि यदि किसी ने 30 फुट की जगह बनानी है तो उसके लिए कहा गया है कि वह 24 फुट की जगह छोड़ेगा तथा इसके अतिरिक्त सीढ़ियों के लिए भी जगह छोड़ेगा जबकि कुछ जगह तो दीवारें ही ले जाएंगी तो जिसने काम करना है तो उसके लिए बिल्ंिडग किस जगह पर बनेगी नए कानूनों में यह नहीं बताया गया है। व्यापारिक रैंप 9 या 24 फुट का बनाने का जिक्र किया गया है परन्तु इसमें कौन सी जानकारी सही मानी जाएगी इस बारे भी विभाग ने अभी साफ करना है। नए कानूनों में जिस तरह से कई कमियां सामने आ गई हैं तो इससे तो कई ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि पास करवाने के समय नक्शे और होंगे तो वास्तव में इमारत के लिए नक्शे और हो सकते हैं। दिए इतराज़ों के कारण भी नहीं संशोधित किए गए इमारतों के कानून : श्री वालिया ने बताया कि उन्होंने इमारतों के कानून लागू करने से पहले तो स्थानीय सरकारी विभाग के अधिकारियों को कई संशोधन करने के लिए एतराज दिए थे। हाऊसिंग विभाग ने तो अपने कानून में संशोधन करने के लिए एतराजों की कापी मांगी थी तथा उन्होंने उक्त कापी दे दी थी। हाऊसिंग विभाग ने तो व्यापारिक संस्थानों के लिए रैंप या फिर सीढ़ियां बनाने के लिए एफएआर कानून में एतराजों के बाद छूट अपने बनाए कानूनों में दे दी थी परन्तु निगमों, कमेटियों के लिए लागू किए गए कानूनों में तो एतराज़ों को देखा तक नहीं गया अपितु बिना एतराज़ से ही लागू कर दिए गए। श्री वालिया ने कहा कि मॉल तथा और बड़े व्यापारिक संस्थान तो इस तरह की कानूनों की खामियां देखकर पंजाब में काम नहीं करेंगे तथा वह बाहर जाकर काम करेंगे। इमारतों के कानूनों में संशोधन करके उनको छूट देनी चाहिए। जिम्मेदारी बढ़ी : दिनेश भगत : डिग्री होल्डर आर्कीटैक्ट दिनेश भगत का कहना था कि इमारत कानून-2018 लागू होने के बाद कौंसिल ऑफ आर्कीटैक्टों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब उनके द्वारा तय गजों में बनने वाली इमारत के नक्शे को तस्वीर करना ही पास माना जाएगा। उनको नक्शा जमा करवाते समय या स्वै घोषणा पत्र लगाना होगा कि जो नक्शा दिया है, वह बिल्कुल सही है जिस कारण यह जिम्मेदारी आर्कीटैक्ट की बन जाएगी कि वह नक्शा देता है तो उस अनुसार ही इमारत बननी चाहिए तथा यदि नियमों की उल्लंघना की जाती है तो उसका लाइसैंस रद्द हो सकता है।