डेविड लिविंगस्टन जिन्होंने की अफ्रीका की खोज

प्रारंभ में अफ्रीका के अनेक देश अज्ञात थे। इसके अनेक कारण हो सकते हैं। वहां के घने जंगल, क्रूर, हिंसक प्राणी तथा लंबे-चौड़े रेगिस्तान और खंडहरनुमा सूखे पहाड़। अनेक व्यक्तियों ने अफ्रीका के इन गुमनाम प्रदेशों की खोज के प्रयत्न किए। लिविंगस्टन उन महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से हैं जिन्होंने अफ्रीका प्रदेशों की खोज के साथ-साथ वहां के आदिवासियों की सेवा में अपना जीवन बिता दिया। जब तक अनेक व्यक्तियों ने अफ्रीका के अज्ञात स्थानों, नदियों, झीलों, का पता लगाने के लिए कठिन यात्राएं कीं। वे मूलत: धर्म प्रचारक व चिकित्सक थे पर उनका नाम अफ्रीका के अज्ञात प्रदेशों की खोज करने वाले के रूप में लिया जाता है। लिविंगस्टन का जन्म स्कॉटलैंड के एक परिवार में हुआ था। उन्होंने पादरी और चिकित्सक के रूप में शिक्षा प्राप्त की। उनकी सबसे पहली यात्रा 1852 में प्रारंभ हुई। उन्होंने लुआंडा नामक स्थान के पश्चिम में सबसे पहले-पहल एक अज्ञात नदी का पता लगाया। चार वर्ष तक चलने वाली यात्रा में उन्हें इतने कष्ट उठाने पड़े कि उनका शरीर हड्डियों का ढांचा मात्र रह गया। अफ्रीका में उनके कार्यों के कारण अब तक उनका नाम इंग्लैंड में प्रसिद्ध हो चुका था। स्वास्थ्य लाभ के लिए जब वे इंग्लैंड लौटे तो महारानी विक्टोरिया सहित सारा लंदन उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा। कुछ दिन स्वास्थ्य लाभ करने के बाद वे फिर अफ्रीका लौट आये। 1866 के प्रारंभ में उन्होंने नील नदी के उद्गम का पता लगाया। इस यात्रा में उन्हें फिर अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा। वे इतने अधिक बीमार हुए कि उनके लिए चलना-फिरना भी असंभव हो गया। पश्चिमी देश उनकी खोज के लिए बेताब हो उठे। अन्तत: स्टेनली नामक एक अमरीकी पत्रकार ने बहुत प्रयत्न करके उन्हें खोज निकाला। उस समय वे इतने कमजोर थे कि 1873 में अफ्रीका के एक आदिवासी गांव में उनकी मृत्यु हो गई। उनके शव को इंग्लैंड लाकर बड़े सम्मान से वेस्टमिंस्टर गिरजाघर में दफनाया गया।

प्रस्तुति-फ्यूचर मीडिया नेटवर्क