रुपया में व्यापार होने से आयात-निर्यात बढ़ेगा

नई दिल्ली, 9 दिसम्बर (एजेंसी): गत दिनों जी-20 सम्मेलन में अरब देशों एवं ईरान के साथ रुपये में व्यापार समझौता होने की धारणा रही, जिसमें इन देशों के साथ आयात-निर्यात बढ़ने की संभावना है तथा कुछ बॉर्टर डील अर्थात् वस्तु व तेल व्यापार आदान-प्रदान बढ़ेगा तथा अनाज व कुछ मैनुफैक्चरिंग गुड्स के अलावा दवाईयों का भारत से निर्यात बढ़ने की संभावना व्यक्त की गयी है, जिससे रुपये की कीमत में सुधार देखने को मिल सकता है। माना जाता है कि डॉलर, यूरो व पौंड जिस मुद्रा की कीमत बढ़ती थी, उसमें कन्वर्ट करके उस मुद्रा में व्यापार किये जाने से घरेलू रिजर्व से विदेशी मुद्रा की कमी होती है। वहीं ओपेक द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन में कटौती तथा निर्यात बढ़ाने पर जोर होने की चर्चा भी वार्ता में की गयी, जिससे तेल के मूल्यों में वृद्धि आ सके, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा खासतौर पर एशियाई देशों की आर्थिक स्थिति ढुलमुल होने के चलते, ज्ञात हुआ कि आगे के लिए टाला गया है। जहां अमेरिका ने भारत सहित 7 देशों को तेल आयात में ईरान से छूट भी दी है, जिसमें कि भारत तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है तथा अपनी जरूरत की पूर्ति हेतु लगभग 80 प्रतिशत तेल आयात करता है। वहीं सरकारी सूत्रों के अनुसार अरब देशों में रुपये का व्यापार बढ़ने से माना जा रहा है कि ब्रिक्स संगठन में अफ्रीका शामिल है, के विकास हेतु रुपये का चलन बढ़ेगा, जिससे प्राइवेट मुद्रा बाजारों में अफ्रीकन मुद्रा रैंड के साथ रुपये की कीमत गत सप्ताह 5.05 से घट-बढ़ के साथ अंत में 5.03 प्रति रैंड पर मजबूत रही। अफ्रीकन टॉप पांच तेल उत्पादक देशों में नाइजीरिया का तेल उत्पादन 24 लाख बैरल प्रतिदिन, अंगोला 18 लाख, अल्जीरिया 17 लाख, इजिप्ट 6.68 लाख एवं लीबिया में तेल उत्पादन 5.16 लाख बैरल प्रतिदिन या कुछ अधिक भी हो सकता है। अत: वस्तु विनिमय क्षेत्र में भारत व अफ्रीकन देशों का व्यापार बढ़े। वहीं अमेरिकन डॉलर की तुलना में रुपया एक बार फिर घट-बढ़ के साथ अंत में घटकर 71.35 प्रति डॉलर पर सुना गया। इसी तरह पौंड व यूरो के सामने भी रुपया अंत में 90.79 तथा 81.19 रुपए पर गिर गया था।