हरियाणा के मानचित्र पर उभरा नया राजनीतिक दल


हरियाणा में एक और राजनीतिक दल का गठन हो गया है। जननायक जनता पार्टी के नाम से गठित इस नई पार्टी का नाम व झंडा जींद में पांडु पिंडारा की धरती से जारी हुआ और इसके गठन के साथ ही चौधरी देवीलाल के परिवार की हरियाणा में दो अलग-अलग पार्टियां बन गई हैं। देवीलाल के पड़पौते व पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के पौत्र सांसद दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में इस पार्टी का गठन किया गया है। इनेलो में ओमप्रकाश चौटाला के दोनों बेटों पूर्व सांसद डॉ. अजय सिंह चौटाला व नेता प्रतिपक्ष अभय सिंह चौटाला के बीच उभरे मतभेदों के चलते न सिर्फ दोनों भाईयों की राहें जुदा हो गई बल्कि अब दोनों के राजनीतिक दल भी अलग हो गए हैं। अगले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इनेलो व जननायक जनता पार्टी दोनों के अलग-अलग चुनाव लड़ने का प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा, यह आने वाले चुनाव में ही साफ हो पाएगा। दुष्यंत की पार्टी के झंडे में 70 प्रतिशत हरा और 30 फीसदी पीला रंग है। अजय सिंह चौटाला के सांसद बेटे दुष्यंत चौटाला, इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला, अजय सिंह की विधायक पत्नी श्रीमति नैना चौटाला के अलावा अजय सिंह के समर्थक खुलकर इस नए दल जननायक जनता पार्टी के साथ आ गए हैं। अजय व दुष्यंत समर्थकों द्वारा जींद में रखे गए प्रदेश स्तरीय सम्मेलन को हर लिहाज से सफल माना जा रहा है। सम्मेलन में पहुंची भीड़ में ज्यादातर युवा वर्ग था और उनमें उत्साह भी खूब था।  इनेलो के 3 विधायक जिनमें नैना चौटाला के अलावा अनूप धानक व राजदीप फौगाट खुलकर शुरू से ही दुष्यंत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। 
इनेलो में कभी बड़ा चेहरा व पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे पूर्व उप-कुलपति डॉ. के.सी. बांगड़ भी इस सम्मेलन के मुख्य सूत्रधार रहे। वे लंबे समय तक चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के बेहद निकट विश्वासपात्र माने जाते थे। वे पार्टी की राजनीतिक मामलों की कमेटी पीएसी व संसदीय बोर्ड के भी सदस्य रहे। इनेलो ने डॉ. बांगड़ को गोहाना से विधानसभा चुनाव भी लड़ाया था और वे मामूली अंतर से हार गए थे। इन दिनों वे खुलकर दुष्यंत चौटाला के साथ हैं। 
अब तक प्रदेश में चौधरी देवीलाल परिवार का क्षेत्रीय दल बनाने व चलाने का इतिहास बेहद सफल रहा है। वैसे चौधरी देवीलाल शुरू में हर बार नए चुनाव चिन्ह व नई पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ते रहे। वे 1977 में जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री बने तो उसके बाद वे कभी लोकदल, कभी जनता दल तो कभी समता पार्टी के नाम व चिन्ह पर चुनाव लड़े। 
ओमप्रकाश चौटाला ने अपने साथियों से विचार विमर्श कर 1998 में पार्टी का नाम हरियाणा लोकदल राष्ट्रीय (हलोदरा) रखते हुए चशमें के चुनाव चिन्ह पर बसपा के साथ गठबंधन कर पार्टी उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाया और उस चुनाव में हलोदरा ने लोकसभा की 4 व बसपा ने 1 सीट जीती। 1999 के चुनाव में चौटाला ने हलोदरा का नाम इंडियन नेशनल लोकदल करते हुए चुनाव चिन्ह चशमा ही रखा और तब से लेकर अब तक इसका नाम इनेलो ही चला आ रहा है। 
दुष्यंत के सम्मेलन में मुख्य बातें दो रही एक तो उन्होंने अगले चुनाव का अपना एजेंडा सीधा लोगों के बीच रखते हुए अपनी प्राथमिकताएं गिनवाई और दूसरा कोशिश की कि समाज के हर वर्ग का कोई नेता उनके मंच पर दिखाई दे। 
ये एक तरह से दुष्यंत की चुनावी रैली थी और उन्होंने अपने भाषण में लोगों से कई वादे करते हुए अपना एजेंडा लोगों के बीच रखा। उन्होंने इन वादों से समाज के हर वर्ग को लुभाने की कोशिश की और मुख्य फोक्स युवाओं, किसानों, कर्मचारियों, शिक्षा व स्वास्थ्य पर केंद्रित रखा।  दुष्यंत समर्थकों ने काफी जोश के साथ नई पार्टी का तो गठन कर लिया है, लेकिन अगले लोकसभा व विधानसभा चुनाव से पहले साफ-सुथरी छवि व जनाधार वाले लोगों को साथ जोड़कर पार्टी का ऊपर से नीचे तक पूरा संगठन खड़ा करना और संगठन की इकाइयां हर जिले, हलके से लेकर गांव, वार्ड व बूथ स्तर तक ले जाना एक लंबा और बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है।  वे संगठन को कब और कैसे खड़ा करेंगे, यह तो समय बताएगा, फिलहाल शुरूआत तो उन्होंने कर दी है लेकिन अगले कदमों पर सभी की नजर बनी रहेगी। 
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