सर्दियों में बचें जोड़ों के दर्द से


जोड़ों का दर्द सर्दियों की एक आम समस्या है। चिकित्सकों का मानना है कि सर्दी के आगमन में जैसे-जैसे तापमान में कमी होती है वैसे-वैसे किसी जोड़ विशेष के आस-पास की रक्तवाहिनियों के संकुचित होने के कारण उस हिस्से के रक्त का तापमान कम होने लगता है जिससे जोड़ों में अकड़ाहट व दर्द पैदा होता है।
जोड़ न सिर्फ हमें चलने फिरने, बैठने-उठने और अन्य कार्य करने में मदद करते हैं बल्कि हमारे शरीर को भी सही आकार प्रदान करते हैं। इनमें दर्द व सूजन होने से रोगी की दैनिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं।
इस मौसम के साथ जोड़ों के दर्द के घटने बढ़ने की शिकायत बड़ी उम्र के लोगों को ज्यादा रहती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ इन जोड़ों का लचीलापन घटने लगता है जिसके फलस्वरूप जोड़ों में आर्थराइटिस उत्पन्न होने लगता है। आर्थराइटिस जोड़ों की एक आम समस्या है जिसमें मुख्यत: जोड़ घिस जाते हैं जिसके फलस्वरूप जोड़ों में दर्द, सूजन व अकड़ाहट स्थाई रूप से पनपने लगती है।
इसके अतिरिक्त 40 वर्ष की आयु से अधिक की महिलाओं के शरीर के हारमोन्स में आ रहे बदलाव के कारण भी मौसम जोड़ों को प्रभावित करता है।
मनुष्य के कूल्हे के केंद्र बिन्दु एक सीधी रेखा में होते हैं जिसे टांगों का नार्मल अलाइनमेंट कहा जाता है किन्तु कुछ कारणवश जैसे शरीर का वजन बढ़ना, घुटने व जोड़ों की बनावट पर बार-बार चोट लगना, दिनचर्या में जोड़ों का आलती पालती मारकर बैठने व सीढ़ियां ज्यादा इस्तेमाल करने से जोड़ों का यह नार्मल अलाइनमेंट बिगड़ जाता है जो काफी हद तक रोगी के घुटनों के दर्द, सूजन व बिगड़ी चाल का ज़िम्मेदार होता है।  आर्थराइटिस रिवर्सल प्रोग्राम में इस बिगड़े अलाइनमेंट को कुछ विशेष रूप से विकसित ब्लाकस तथा बेल्टों का इस्तेमाल कर सही करने की प्रक्रिया से रोगी को निपुण किया जाता है। 
खान पान में बदलाव कर, आधुनिक दवाओं के प्रयोग से रोगी के जीवन से उन दुष्ट कारणों को निकाला जाता है जिससे आर्थराइटिस की उत्पत्ति होती है। रोगी को यह याद रखना चाहिए कि जब तक वह इन सब कारणों को (जैसे बढ़ा हुआ वजन व अलाइनमेंट बिगड़ना) अपने जीवन से नहीं निकालता, उसे पूर्ण रूप से आराम आना मुश्किल है।
इस प्रोग्राम से बढ़े हुए वजन, रक्तचाप, मधुमेह, आस्टियोपोरोसिस को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। 
—अशोक गुप्त