अंटार्कटिका के और ग्लेशियरों का पिघलना भी शुरू : नासा  


वॉशिंगटन, 11 दिसम्बर (भाषा): पूर्वी अंटार्कटिका तट तक फैले ग्लेशियरों का एक समूह पिछले एक दशक से पिघलना शुरू हो गया है जो महासागरों में व्यापक परिवर्तन की ओर इशारा करता है। नासा के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अमीरीकी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा कि समुद्र तल परिवर्तन के माध्यम से पूर्वी अंटार्कटिका पूरे विश्व की तटरेखा को फिर से आकार देने की क्षमता रखता है लेकिन वैज्ञानिक लंबे समय तक इसे इसके पड़ोसी पश्चिमी अंटार्कटिका से ज्यादा स्थिर मानते रहे हैं। पिछले कुछ सालों में शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि ‘टोटन ग्लेशियर’ महासागरीय जल की गरमाहट के चलते पिघल रहा है। इस विशालकाय ग्लेशियर में इतनी बर्फ है जो समुद्र के जलस्तर को कम से कम तीन मीटर तक बढ़ा सकता है। 
नासा ने कहा कि अब शोधकर्ताओं ने पाया है कि टोटन से पश्चिम में स्थित चार ग्लेशियरों के समूह के साथ ही सुदूर पूर्व में कुछ छोटे ग्लेशियर भी पिघलने लगे हैं।  अमरीका के गोड्डार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में ग्लेशियर विज्ञानी कैथरीन वॉकर ने कहा, च्च्पूर्वी अंटार्कटिका में टोटन सबसे बड़ा ग्लेशियर है, इसलिए ज्यादा शोध इस पर होता है।’ वॉकर ने कहा, लेकिन जब आप यह पूछना शरू करते है कि क्षेत्र में और क्या चल रहा है तो मालूम पड़ता है कि आस-पास के अन्य ग्लेशियर भी टोटन की भांति ही पिघल रहे हैं।’