दुष्कर्म पीड़ितों की पहचान उजागर नहीं करने का निर्देश


नई दिल्ली, 11 दिसम्बर (भाषा, जगतार सिंह) उच्चतम न्यायालय ने दुष्कर्म और यौन हिंसा पीड़ितों के नाम और पहचान उजागर नहीं करने का निर्देश देते हुए मंगलवार को कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे समाज में दुष्कर्म पीड़ितों के साथ ‘अछूत’ जैसा व्यवहार किया जाता है। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रिंट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निर्देश दिया कि दुष्कर्म और यौन हिंसा पीड़ितों की पहचान किसी भी रूप में उजागर नहीं की जाए। 
शीर्ष अदालत ने कहा कि पुलिस दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के मामलों, ऐसे मामले भी जिनमें आरोपी नाबालिग हों, की प्राथमिकी सार्वजनिक नहीं करे। इस मामले में पिछले दिनों सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत से कहा गया था कि महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों में निष्पक्ष सुनवाई के लिये प्रेस की आज़ादी और पीड़ित के अधिकार के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है।  इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रही वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने न्यायालय में दलील दी थी कि अदालत के विचाराधीन मामलों में मीडिया ‘समानान्तर सुनवाई’ कर रहा होता है और इसलिए शीर्ष अदालत को महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों की रिपोर्टिंग के लिये दिशा-निर्देश निर्धारित करने चाहिएं।