अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ हैं व्हीलचेयर खिलाड़ी मिताली गाइकवाड

‘लो मैं फिर आ रही हूं हवाओं का रुख बदलने, जो कहते थे हमसे न होगा, तुमने कह दिया हमने कर दिखाया।’ जी हां, मैं बात कर रहा हूं महाराष्ट्र राज्य की गौरवशाली लड़की मिताली गाइकवाड की, जिन्होंने वह कर दिखाया, जो कहते थे मिताली तुम यह नहीं कर सकेगी, क्योंकि तुम व्हीलचेयर पर हो, लेकिन जिन लोगों के हौसले बुलंद होते हैं और इरादे मजबूत हो वह काम करके ही दम लेते हैं और मिताली गाइकवाड भी उनमें से एक है, जिन्होंने व्हीलचेयर पर होते हुए भी निशानेबाज़ी में बुलंदियों को छुआ है। मिताली गाइकवाड का जन्म महाराष्ट्र की धरती के शहर नासिक में पिता श्रीकांत गाइकवाड के घर माता संगीता गाइकवाड की कोख में 29 अक्तूबर, 1994 को हुआ। मिताली गाइकवाड को जहां खेलों का शौक था, वहीं उनको अपनी सहेलियों, सहपाठियों के साथ पार्टी करने, नाचने-कूदने का भी शौक था और वह हमेशा खुश तबीयत की मालिक थी। थोड़ा समय बिता तो समय ने करवट बदली मिताली की रीढ़ की हड्डी के पास एक खून के गुच्छे बन गए और उसके इलाज के लिए उनको डाक्टर के पास ले जाया गया, जहां उनका आप्रेशन हुआ। जब आप्रेशन के बाद उन्होंने आगे चलने के लिए कदम बढ़ाया तो उनको एहसास हुआ कि व ह चल नहीं सकेंगी। इस हुई घटना से जहां माता-पिता गहरे सदमे में चले गए, वहीं दूसरी तरफ मिताली के सजाए सारे सपने भी चूर-चूर हो गए और वह सोचने लगी कि आखिर यह क्या हो गया? कल जो मिताली अपनी दोस्तों के साथ अठखेलियां करती नहीं थी थकती थी वह आज वही मिताली एकदम खामोश हो गई। इस सदमे से मिताली को बाहर निकालने के लिए माता-पिता ने उनको हौसला दिया और मिताली सोचने लगी शायद यह व्हीलचेयर ही अब उसकी ज़िन्दगी की असल दोस्त होगी और उसने लम्बी सांस ली और व्हीलचेयर दौड़ाने लगी कि आज तक रुकी नहीं और अब वह महाराष्ट्र का गौरव नहीं, बल्कि पूरे भारत का गौरव है। मिताली ने व्हीलचेयर से दोस्ती करने के लिए और अब वह व्हीलचेयर पर ही स्वयं को साबित करने के लिए आरर्ची यानि निशाना साधने की खेल में अपने-आपको निपुण करने लगी और उनको कोच अश्वनी थोटे ने भी उनको आरर्ची में ऐसा तराशा कि जल्द ही मिताली निशानेबाज़ी में जीत हासिल करने लगी। मिताली ने आरर्ची देखने के लिए इतनी मेहनत की कि वह खाना भी भूल जाती और दिन के कई घंटे उन्होंने स्वयं को अभ्यास के लिए खेल मैदान को समर्पित कर दिया। अभी-अभी जकार्ता में हुई एशियन पैरा खेलों में मिताली गाइकवाड निशानेबाज़ी में पूरे भारत में 11 खिलाड़ियों में चुनी गई और उनके एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते भारत की झोली पदकों से भर दी। मिताली के कोच अश्वनी थोटे और नासिक आरर्ची एसोसिएशन के प्रधान मंगल पाटिल मिताली के बारे में कहते हैं कि मिताली के मज़बूत इरादे और कुछ कर सकने की चाहत ने उनके कद को और ऊंचा किया और वह हमेशा मिताली पर गर्व करते हैं और मिताली कहती हैं कि ‘कुछ भी तो मुश्किल नहीं अगर करने की ठान लो, मंज़िल मिल ही जाती है हिम्मत से इन्सान को।’

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