बम धमाकों के बीच यूं साकार हुई अफगानिस्तानी क्रिकेट की परीकथा

खेलों में अगर अफगानिस्तान क्रिकेट टीम से अधिक कोई अन्य प्रेरणादायक कथा है तो उसका सुना जाना अभी शेष है। अगर इससे ज्यादा कोई दिल को छूने वाली कहानी है, जो युद्ध से बर्बाद हुए राष्ट्र से निकली हो, तो उसका बताया जाना अभी बाकी है। यह मानव हौसले की कथा है, जो अति विपरीत स्थिति में भी जीत जाता है। यह असम्भव सपने देखने और उन सपनों को साकार करके दिखने की कहानी है। एक कहानी जो हकीकत बन गई है। दूसरे देश के शरणार्थी कैंप में दिन काटते हुए, खुली आंखों से, यह सपना देखना कि अफगानिस्तान क्रिकेट विश्व कप खेल रहा है और फिर इसी सपने का सच हो जाना, परी कथा नहीं है तो और क्या है? इन सपना देखने वालों में नवरोज मंगल भी थे, जो अब अफगानिस्तान टीम के प्रमुख चयनकर्ता हैं। मंगल की अपने देश की अविश्वसनीय यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका रही है और इस यात्रा के जहां भी क्रिकेट खेली जाती है प्रशंसक हैं। यह यात्रा हाल ही में मंगल को शारजाह ले गई, जहां अफगानिस्तान क्रिकेट ने एक अन्य सफलता अर्जित की- सितारों से भरी अपनी टी 20 लीग। इस अवसर पर अफगानिस्तान के पूर्व कप्तान मंगल ने बताया, ‘मुझे अक्सर आश्चर्य होता है कि घर में युद्ध के कारण दयनीय स्थिति होने के बावजूद हमारे खिलाड़ी ग्लोबल मंच पर जबरदस्त कामयाबी हासिल कर रहे हैं। अफगानिस्तान में उथल-पुथल का जो दौर 2001 में अमेरिकी घुसपैठ से आरंभ हुआ था अभी तक जारी है, तालिबान के हमले जारी हैं, शांति दूर तक नजर नहीं आ रही है। अफगानिस्तान में स्थिति बहुत कठिन है। इंफ्रास्ट्रक्चर नाम की कोई चीज नहीं है।’इसका अर्थ यह है कि अफगानिस्तान के क्रिकेटर निकट भविष्य में अपने देशवासियों के समक्ष नहीं खेल सकेंगे। खेलना तो छोड़िये, उन्हें तो ट्रेनिंग के लिए भी अपने देश से अलग जगहों की तलाश करनी पड़ती है। इस समय अफगानिस्तान टीम चेन्नै में प्री-सीजन कैंप कर रही है। इससे पहले वह शारजाह, नोएडा व देहरादून में ट्रेनिंग कर चुकी है। वह घुमंतू अवश्य हैं, लेकिन उन्होंने साबित किया है कि अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वह घर पर होने का सा ही एहसास करते हैं। किसी अन्य देश ने, किसी भी खेल में, इतने कम समय में इतना लम्बा सफर तय नहीं किया है, वह भी युद्ध की आग को बर्दाश्त करते हुए। 1995 में अपनी पहली अधिकारिक टीम गठित करने के बाद, अफगानिस्तान इस समय टी-20 की आईसीसी विश्व रैंकिंग में आठवें स्थान पर है, श्रीलंका व बांग्लादेश जैसे देशों से भी आगे। श्रीलंका को आईसीसी की एसोसिएट मेम्बरशिप 1965 में मिली थी और बांग्लादेश को 1977 में, जबकि अफगानिस्तान को 2001 में प्रवेश मिला था। अफगानिस्तान का लेग स्पिनर राशिद खान इस समय टी-20 नंबर एक गेंदबाज है।इस वर्ष जून में अफगानिस्तान ने टैस्ट भी खेला। 1877 से आरंभ हुए क्रिकेट इतिहास में टैस्ट खेलने वाला अफगानिस्तान 12वां देश बना। बंग्लुरु टैस्ट में उसे भारत से दो दिन के भीतर एक पारी व 262 रन से पराजय मिली, लेकिन इसे समझा जा सकता है कि उसे उस खेल में अनुभव का अभाव था जिसमें टीम को दो बार बल्लेबाजी करनी पड़ती है। लेकिन तीन माह बाद संयुक्त अरब अमीरात में हुए एशिया कप में अफगानिस्तान ने श्रीलंका व बांग्लादेश को पराजित किया, भारत से टाई किया और पाकिस्तान उससे बाल बाल ही बच पाया। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि अफगानिस्तान एक अच्छी एक दिवसीय टीम के रूप में उभरा है और इसलिए अगले वर्ष इंग्लैंड में होने वाले विश्व कप में उससे काफी उम्मीदें होंगी।