नया डी.जी.पी. पुराने के आदेश रद्द नहीं कर सकता

चंडीगढ़, 12 दिसम्बर (सुरजीत सिंह सत्ती) : एक ए.एस.आई. को अख्तियारी कोटे में डी.जी.पी. द्वारा दी तरक्की का आदेश रद्द करने के फैसले को चुनौती देती याचिका मंजूर करते पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस जितेन्द्र चौहान की एकल बैंच ने कहा है कि किसी डी.जी.पी. का स्थान लेने वाला नया डी.जी.पी. न तो पहले वाले डी.जी.पी. के आदेश को रद्द कर सकता है व न ही ऐसी पंजाब पुलिस के नियमों में कोई तजवीज़ है। इस आब्जर्वेशन के साथ ए.एस.आई. को मिली तरक्की बहाल कर दी गई है व हाईकोर्ट के इस आदेश से उन अन्य कर्मचारियों के लिए भी उम्मीद बन गई है, जिनके सम्बंध में पुराने आदेश नए अधिकारियों ने बदल दिए थे। एक ए.एस.आई. दलजीत सिंह ने एडवोकेट गगन प्रदीप सिंह बल्ल द्वारा याचिका दायर करके कहा था कि उसकी बेहतर सेवाओं के कारण उसको 16 अप्रैल 2003 को ए.एस.आई. की तरक्की मिली थी परन्तु बाद में दूसरे डी.जी.पी. ने इस आदेश पर पुनर्विचार करके तरक्की वापिस कर दी थी व इसके उपरान्त अन्य डी.जी.पी. द्वारा तरक्की के आदेश में और संशोधन भी कर दिया गया परन्तु वर्ष 2003 से मिली तरक्की को एक अप्रैल 2008 से दिया जाना माना गया। तरक्की की तारीख आगे डालने के पीछे हवाला दिया गया कि क्योंकि दलजीत सिंह को आऊट आफ टर्न तरक्की दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि उसके जूनियरों को तरक्की मिल गई है व इस आधार पर दलजीत सिंह की तरक्की, उसके जूनियरों को मिली तरक्की की तारीख के साथ मेल मिला कर दे दी गई परन्तु अप्रैल 2008 से दी गई। इसको चुनौती दी गई थी व कहा गया था कि एक पुराने मामले में भी आऊट आफ टर्न तरक्की के मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि नया अधिकारी पुराने अधिकारी के आदेश को नहीं बदल सकता व वैसे भी पंजाब पुलिस रूल्ज़ में किसी नए अधिकारी द्वारा पुराने अधिकारी के आदेश पर दोबारा विचार करने की कोई तजवीज़ नहीं है। हाईकोर्ट बैंच ने इस हवाले के आधार पर दलजीत सिंह की तरक्की के लिए जारी पुराने आदेश बहाल करते हुए उसको 16 अप्रैल 2003 से तरक्की देने का आदेश दिया है व कहा है कि विभाग तीन माह में इस आदेश पर अमल करे। हाईकोर्ट ने कहा है कि नया अधिकारी पुराने अधिकारी के आदेश को रद्द नहीं कर सकता व कानून प्रबंध का सिस्टम बनाए रखना आवश्यक है। वर्णनीय है कि बेहतर सेवाओं के आधार पर डी.जी.पी. कर्मचारियों को तरक्की देते आए हैं व ऐसे कर्मचारियों को डी-2 जैसी सूचियों में रखा जाता है परन्तु विभाग में कई कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी तरक्की के पश्चात् के अधिकारियों द्वारा वापिस ले ली गई थी व दलजीत सिंह भी इनमें से एक हैं, जिनको अब हाईकोर्ट से न्याय मिला है।