बच्चों में लोकप्रिय हेलोवीन

इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं कि भारत में आजकल पश्चिमी सभ्यता और पश्चिमी देशों में मनाए जाने वाले रस्म-रिवाजों व पर्वों को दिल खोल के अपनाया जा रहा है। इनमें सबसे प्रचलित त्यौहार है क्रिसमस जो हर साल 25 दिसंबर को भारत में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। टेक्नोलाजी के लगातार बढ़ते विकास के चलते अब ईस्टर और हेलोवीन को भी भारत में बेहद उत्साह से मनाया जाने लगा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर हेलोवीन है क्या और इसे क्यों और कब मनाया जाता है? क्या है हेलोवीन? : दरअसल हेलोवीन शब्द ‘हैल्लोस इवनिंग’ से बना है जिसका अर्थ है मृत संतों (हेल्लो) व संत-आत्माओं की यादगार या समर्पित शाम। इस दिन लोग अजीबोगरीब डरावनी पोशाकें पहनते हैं, भूतों व चुड़ैलों वाले मुखौटे पहनते हैं, वयस्क लोग डरावना मेक-अप करते हैं, हेलोवीन पार्टीज रखते हैं, भूत प्रेतों वाली फिल्में देखते हैं और अपने आसपास वालों को डरा कर मनोरंजन करते हैं। यही नहीं हेलोवीन पर डरावने खेल-खेलना, पम्पकिन कार्विंग करना, बानफायर करना, डरावने किस्से सुनना-सुनाना , इस पर्व का एहम हिस्सा हैं। बच्चों का ट्रिक-ओ-ट्रीट सेलिब्रेशन : हेलोवीन से संबंधित बच्चों में सबसे प्रसिद्ध है ट्रिक-ओ-ट्रीट सेलिब्रेशन। इस खास प्रथा में बच्चे आसपास के घर-घर जाकर ट्रीट यानी कैंडी व चाकलेट व केक इत्यादि मांगते हैं। इनके हाथों में एक झोला बैग होता है जिसको उठाकर वह हर घर जाकर पूछते हैं - ट्रिक या ट्रीट? यहाँ पर ट्रिक का मतलब होता है शरारत करने की धमकी देना जिससे तभी बचा जा सकता है अगर घरवाले बच्चों को ट्रीट दें। झोले में सारी ट्रीट्स जमा करके बच्चे चलते रहते हैं।  अगर किसी घर से ट्रीट न मिलें तो बच्चे उस घर पर कोई न कोई शरारत करते हैं जिससे घरवालों को सजा के तौर पर मामूली सी परेशानी उठानी पड़ती है। यह बड़ी दिलचस्प बात है क्योंकि ज्यादातर लोग बच्चों को ट्रीट देकर ही अपनी जान छुड़ाते हैं वरना घरवालों को बच्चों की मस्ती भरी शरारतों का शिकार होना पड़ता है। बच्चों के लिए भी लाजवाब ट्रीट्स जमा करने का यह उत्तम अवसर होता है। यूनिसेफ द्वारा संचारित ट्रिक ओ ट्रीट मुहीम : सन 195० में नार्थईस्ट फिलेडैल्फिया में बालहित के जाने-माने संगठन यूनिसेफ ने बच्चों की मदद के लिए अनुदान संचय कार्यक्रम शुरू किया जिसके अंतर्गत॒ ट्रिक ओ ट्रीट द्वारा जमा की गयी राशि व वस्तुएं वंचित बच्चों को मुहैय्या कराई गयीं। इस मुहिम के चलते बहुत से मददगार लोगों ने दिल खोलकर अपना योगदान दिया और इस सामाजिक काज को एक बेहतरीन अंजाम तक पहुँचाया। अब तक इस मूवमेंट द्वारा संचित राशि 118 मिलियन डालर पहुँच चुकी है जो गरीब बच्चों के हित में काम आती है।  बाजारों में हेलोवीन की धूम :भारतीय बाजारों में हेलोवीन का बुखार जोर पकड़े हुए था। हैलोवीन की खास पोशाकों , मुखौटों , रंगमंच के सामान इत्यादि से बाजार पटे पड़े थे। कई लोग तो दिवाली की खरीदारी के साथ ही हेलोवीन का सामान भी खरीद रहे थे। इस अनोखे उत्सव के लिए भारतीय लोगों और बच्चों का उत्साह देखते ही बनता था। (उर्वशी)

-शिवांगी शर्मा