आर.ओ. व बोतल बंद पानी ने मानवीय स्वास्थ्य को बिगाड़ा

मलोट, 15 दिसम्बर (गुरमीत सिंह मकड़) : आरओ व बोतल बंद पानी ने सारा हिसाब ही बिगाड़ दिया है। घर में आरओ लगाना व बाहर बोतल बंद पानी पीना एक फैशन बन गया है। पानी मीठा है तो पानी अच्छा है। पानी की गुणवत्ता को टीडीएस के द्वारा नापा जाता है। टीडीएस नापने से पता लगता है कि पानी में ईर्ष्या मिनरल घुला हुआ है। यदि टीडीएस 350 है तो सब से अच्छा है, परन्तु टीडीएस 250 से 600 तक की टीडीएस अच्छा है, यदि 1000 तक भी आ जाये तो ठीक है। विश्व सेहत संगठन (डब्ल्यूएचओ) को चेतावनी जारी करनी पड़ी कि 99 प्रतिशत लोग 100 टीडीएस से कम पानी पी रहे हैं। लोगों को पानी इस लिए अच्छा लगता है, क्योंकि 65 से 75 तक का पानी सब से मीठा होता है, यदि पानी 100 से कम टीडीएस हुआ तो दिल की बीमारी से ले कर बाल गिरने की बीमारी हो सकती है। आरओ से साफ  हुए पानी में से 90 प्रतिशत मिनरल नष्ट हो जाते हैं। हैरानी है कि बोतल बंद पानी को मिनरल वाटर कहा जाता है। मामला अदालत में पहुंच चुका है। अदालत ने इस पर रोक लगाई तो पानी बनाने वाली कंपनियां ने इस पर पैकिंग बोतल लिखना शुरू कर दिया। लोगों में यह भ्रम है कि बोतल बंद पानी मिनरल पानी है। आरओ में से पानी आता है तो इस में प्लास्टिक घुल जाता है। ज़्यादा दिन प्लास्टिक की बोतल में पानी रहने साथ भी प्लास्टिक पानी में घुल जाता है। पानी में प्लास्टिक घुलने कारण कैंसर जैसी भयानक बीमारियां होती हैं। पहली बात तो बोतल वाला पानी पीना बंद करो व यदि पानी में टीडीएस 1000 से अधिक है तो ही आरओ लगवाओ। आरओ का मापदंड 350 टीडीएस पर सैट करो। घड़े का पानी पीओ और घड़ा वहां रखो जहां धूप व हवा लगे। घड़े की खासियत यह है कि यदि पानी में टीडीएस ज़्यादा है तो यह निकाल देता है और कम हैं तो बडा दिया है। एक व्यक्ति को कम से कम ढाई लीटर पानी पीना चाहिए। कम पानी पीने वाले ज़्यादा मोटे होते हैं। कम पानी पीने साथ किडनी, स्टोन व कब्ज जैसी बीमारियां हो सकती है। दिन में 10 से 12 गिलास पानी पीना चाहिए। एक ही बारी नहीं 1-2 गिलास करके भी पानी पिया जा सकता है। दिन में 2-2 गिलास करके पानी 5 बार पिया जा सकता है।