जब अचानक कोई हाल पूछे

जब कोई अचानक  बहुत दिनों, महीनों या फिर सालों के बाद आपका हाल पूछे : खैरियत जानने की कोशिश करे, तब आपका जी घबरा जाता है। दिल पीपल के पत्ते की मानिंद कांपने लगता है। मन सशंकित-आशंकित हो उठता है। रोम-रोम (रोएं-रोएं) में झुनझुनी सी होने लगती है और आप हाल पूछने वाले की, खैरियत जानने वाले की शक्ल व आवाज़ पहचानने की कोशिश करने लगते हैं। उसकी मंशा भांपने की कोशिश करने लगते हैं। आप सोचने लगते हैं कि इस शख्स ने पहले कभी भी यह जानने की ज़ेहमत (तकलीफ) नहीं उठाई कि आप किस हाल में जीते रहे हैं? या मरते रहे हैं? कौन-कौन सा दुख सहते रहे हैं? कष्ट भोगते रहे हैं?... और अब अचानक यह शख्स हमारा हाल पूछ रहा है। खैरियत जानना चाहता है। आपका हैरत में पड़ना, आचंभित होना सौ प्रतिशत जायज़ है। क्योंकि आजकल सौ में से निन्यायवे लोग व्यस्त, अति व्यस्त होने का ढोंग रचाकर दूसरे लोगों से कोई राबता, मेल-जोल, वास्ता नहीं रखते हैं। संवाद नहीं रचाते हैं। किसी के पास बैठकर उसके सुख-दुख में भागीदार नहीं बनते हैं। उनके द्वारा किसी का हाल पूछने तथा खैरियत जानने की बात तो बहुत दूर की, देश की, प्रांत की राजधानी जैसी दूर की बात है। हर कोई एक-दूसरे से कन्नी काटकर मुंह फेरकर, रास्ता बदलकर गुज़र जाता है और आप अपने जान-पहचान वाले लोगों की पीठ निहारते रह जाते हैं। दो मीठे बोल सुनने को तरस जाते हैं। ‘हैली-हैलो’ का रिवाज़ भी खत्म हो रहा है। आपको लगता है कि आपके इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों ने मौन धारण कर रखा है। मुंह पर मुरादाबादी ताला लगा रखा है। या फिर आपको लगता है कि आप मूक, बधिरों, अंधों की दुनिया में रहने लगे हैं। कोई देखकर भी आपको न देखे, न पहचाने और न ही बताए तो फिर आप क्या सोचेंगे? क्या महसूस करेंगे? ...तो इसलिए आप भौंचक्के से रह जाते हैं, जब कोई अचानक एक मुद्दत के बाद आपका हाल पूछता है। आपकी ़खैरियत जानने का प्रयास करता है। अगर आजकल कोई व्यक्ति प्यार से स्नेह से आपके कंधे पर हाथ रख दे, तो आप भाव-विह्ल हो उठते हैं। आपका मन द्रवित हो उठता है। हो सकता है कि आपकी आंखों में आंसू उमड़ आएं और आपका गला रुंध जाए। मगर जनाब सावधान रहिए। जल्दी-जल्दी भावुक होना छोड़िए। स्नेहियों के वेश में छलिए छुपे हो सकते हैं। प्यार जताने वाले बेईमान, कपटी, ़फरेबी, महा ठग हो सकते हैं। बातों-बातों में आपसे धन-दौलत ऐंठ सकते हैं। आपके दिल का करार, मन का सुकून छीन सकते हैं। इसीलिए श्रीमान जी, श्रीमती जी पूरे होशो-हवास के साथ ही किसी को अपना हाले-ए-दिल बयां करें। अपनी खैरियत बताएं। हर वक्त अपने दिल का और घर का दरवाज़ा मत खुला रखें। ़खैर-ख्वाह, हमदर्द के वेश में कोई चोर-लुटेरा आपके दिल में, आपके घर में घुस सकता है। ऐसी भी बात नहीं है कि दुनिया में सभी लोग मूक, बधिर, अंधे हो चुके हों और वे किसी का हाल न पूछते हों। ़खैरियत पूछने तथा पहचानने की कोशिश न करते हों। किसी से मेल-मिलाप बढ़ाने का प्रयास न करते हों। मल्टीचेन बिजनेस चलाने वाले, बीमा कम्पनियों के एजेंट्स, तमाम तरह के दलाल, ढोंगी संत-महात्मा, बेईमान, ठग, मतलबप्रस्त आदमी, गधों को बाप बनाने वाले, नोट दुगुना करने वाले, श्रद्धालुओं से धन, सोना, अन्य वस्तुएं भेंट के रूप में ऐंठने वाले, पुलिस के मुखबिर, देश के दुश्मन, जासूस, ऑनलाइन आपके बैंक खातों की, एटीएम कार्ड्स के पासवर्ड कोड नम्बर की जानकारी हासिल करने वाले, फोन पर लाखों रुपयों की आपकी लाटरी निकालने की खुशखबरी देने वाले, तमाम तरह के भिख मंगे आदि कई लोग हैं जो बहुत मीठे वचन बोलकर आपका हाल-चाल पूछते हैं। आपसे बात करते हैं। बातों-बातों में आपको प्रभावित, आकर्षित करते हैं। अगर आप सावधान व सचेत न रहे, तो फिर आपका चारों खाने चित होना तय है। फिर आप जीवन भर पछतावा करते रह सकते हैं कि नाहक ही आपका किसी ने हाल पूछा और नाहक ही आपने बता दिया। आप सोचते हैं कि स्वार्थी, लालची, लोभी लोगों को अपने निकट, अपने दिल के पास आने क्यों दिया।

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