तमन्ना है कि जीते जी भारत की झोली में आये ओलंपिक गोल्ड : मिल्खा सिंह

लखनऊ, 16 दिसम्बर (वार्ता)  : उड़न सिख के नाम से मशहूर दिग्गज एथलीट पद्मश्री मिल्खा सिंह की तमन्ना है कि उनके जीते जी कोई भारतीय एथलीट ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीते। नवाब नगरी लखनऊ स्थित एक स्कूल में नवनिर्मित एथलेटिक्स ट्रैक एवं खेल मैदान का लोकार्पण करने के बाद 91 वर्षीय मिल्खा ने रविवार को कहा, ‘‘भारत एथलेटिक्स के क्षेत्र में आज काफी पिछड़ चुका है। मेरे हाथ से रोम में स्वर्ण पदक फिसल गया था और मैं चाहूंगा कि मेरे जीते जी कोई भारतीय एथलीट ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते। मिल्खा ने जब नंगे पैर दौड़कर रिकार्ड तोड़े तो आज तो सब सुविधाएं है तो फिर उम्मीद है कि हमसे आगे भी लोग निकले। उम्मीद है कि मेरा यह सपना जल्द ही पूरा होगा।’  उन्होंने कहा, ‘‘मै अपनी जिदंगी में तीन बार रोया था। पहली बार जब मेरे मां बाप बंटवारे के समय कत्ल कर दिए गए थे। फिर रोम ओलंपिक में मेडल चूकने पर रोया। ’’ इस अवसर पर उन्होंने एक शेर कहा, ‘हाथ की लकीरों से जिदंगी नहीं बनती, अजम (विलपावर) हमारा भी कुछ हिस्सा है जिदंगी बनाने का।’ मिल्खा ने कहा, ‘हमारे समय में न ट्रैक सूट थे तो रनिंग शूज भी नहीं थे लेकिन फिर भी हम दौड़े और पदक जीते। हम आर्मी की जर्सी पहन कर दौड़ते थे। हमने बहुत मेडल जीते लेकिन रोम ओलंपिक में पदक से चूक कर चौथे स्थान पर रह जाने का अफसोस है। मैने रोम ओलंपिक में वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था लेकिन रिकार्ड से चूक गया था।’ 1960 के रोम ओलंपिक में मिल्खा 47.6 सेकेंड का रिकार्ड तोड़ समय निकालने के बावजूद चौथे स्थान पर रहे थे और बेहद मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गए थे।