बच्चें को बचाएं निमोनिया से


निमोनिया बैक्टीरिया के माध्यम से फैलने वाली ऐसी बीमारी है जिसमें उपचार में देरी होने पर पीड़ित की मृत्यु तक हो जाती है। वैसे अपने यहां शिशु इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं। 
निमोनिया क्या है
यह बैक्टीरिया के माध्यम से होने वाली एक बीमारी है यह बीमारी ज्यादातर लंग्स को प्रभावित करती है जिससे लंग्स में संक्रमण, कफ, फीवर और सांस लेने में तकलीफ होती है। यह बीमारी एक से दूसरे में फैलती है। छींक, सांस, यूरिन, ब्लड के माध्यम से यह दूसरे तक फैलती है। हिब और न्यूमोफोकस बैक्टीरिया के कारण 50 प्रतिशत निमोनिया की बीमारी 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को होती है। अधिक उम्र के लोगों तक को निमोनिया की बीमारी होती है पर बड़ों को डायबिटीज, कैंसर, एड्स और हार्ट की बीमारी होने पर भी निमोनिया से मिलते-जुलते लक्षण पाए जाते हैं।
निमोनिया डब्ल्यू. एच.ओ. की नजर में:- यह बीमारी अधिकतर 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होती है। इससे इन्हें बचाया जा सकता है। जन्म के समय बच्चों को वजन कम होने पर निमोनिया रोग संभावित है। यह निमोनिया कई प्रकार का होता है पर इनसे कुछ ऐसे हैं जिनसे पीड़ित बच्चों को बचा पाना असंभव होता है।
इम्यून सिस्टम की कमजोरी के कारण बड़ों को यह निमोनिया रोग होता है। दुनियां में प्रति वर्ष 30 लाख लोग निमोनिया पीड़ित होते हैं। इनमें से 5 प्रतिशत पीड़ित उपचार के अभाव में मर जाते हैं। यह मौत के छह प्रमुख कारणों में से एक है। अमरीका भी इससे पीड़ित व मौत के मामलों से अछूता नहीं है किन्तु भारत की स्थिति नाइजीरिया, इथोपिया, चीन, कांगों आदि कई देशों से बदतर है। सबसे ज्यादा लोग हमारे यहां निमोनिया से पीड़ित व मारे जाते हैं। निमोनिया की रोकथाम की जा सकती है। इसका उपचार है। पीड़ित मरीज समय पर अस्पताल में पहुंच जाए तो उसे बचाया जा सकता है। 
बच्चों की निमोनिया से सुरक्षा के उपाय:- शिशु के पैदा होने के एक घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करवाने और छह माह तक आगे लगातार स्तनपान करवाने से बच्चों की निमोनिया सहित अनेक रोगों से रक्षा हो सकती है। इस दौरान मां के दूध में पर्याप्त पोषण और अनेक रक्षण घटक मिलते हैं। साथ ही खसरे एवं कुकुर खांसी का रूटीन टीका लगवाने से इन बीमारियों के कारण निमोनिया की जटिलताओं से रोकथाम होती है।
स्न छह माह स्तनपान के उपरान्त उसे बाहरी पोषक तत्वों से भरपूर भोजन दें।
स्न निमोनिया के लक्षण दिखते ही अस्पताल ले जाएं।
स्न उसे वैक्सीन के सही डोज समय पर लगवाएं।
स्न सर्दी, जुकाम, खांसी, फीवर होने पर उसे तत्काल डॉक्टर को दिखाएं।
स्न खांसी आने पर मुंह पर रूमाल रखें।
स्न सिगरेट के धुएं से बचें व बचाएं।
स्न बड़े व्यक्ति तम्बाकू सेवन से बचें।
स्न प्रदूषण वाले क्षेत्र में सुरक्षा अपनाएं। (स्वास्थ्य दर्पण)
-सीतेश कुमार द्विवेदी