सिख कौम के लिए ऐतिहासिक बना वर्ष ‘2018’

अमृतसर, 20 दिसम्बर (सुरिन्द्रपाल सिंह वरपाल): हुकुमतों द्वारा थोपी गई 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन की कीमत जहां 10 लाख से ज्यादा लोगों को अपनी जानें गंवाकर चुकानी पड़ी थी, वहीं भावनाओं से जुड़े अधिकतर गुरधाम सिख कौम से बिछड़ गए, जबकि दिल्ली सहित अन्य राज्यों में हुए सिख कत्लेआम के असह दुखांत ने भी वर्ष 1984 को इतिहास के काले पन्नों में दर्ज करवा दिया। ऐसे में 2018 का वर्ष विशेषकर सिख कौम के लिए ऐतिहासिक बन गया क्योंकि उपरोक्त वर्षों द्वारा दिए गहरे जख्मों पर लेप लगाने में सहायक हुआ है। विगत 7 दशकों से सिख जगत द्वारा बिछुड़े गुरुधामों के खुले दर्शन के दीदार  की जाती अरदास भी इसी वर्ष ही पूरी हुई। सिख कौम के लिए वह दिन बहुत ऐतिहासिक एवं खुशियों भरा था, जब दोनों देशों की सरकारों द्वारा श्री करतारपुर साहिब का गलियारा खोलने का फैसला किया था। 1947 के विभाजन समय भारतीय सीमा से महज 4 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान में रह गए श्री गुरु नानक देव जी से संबंधित पावन स्थान श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए भारत-पाकिस्तान की हुकूमतों द्वारा संयुक्त गलियारा बनाने की स्वीकृति दी गई, जिसके लिए बाकायदा 26 नवम्बर को भारत एवं 28 नवम्बर को पाकिस्तान में दोनों देशों की सरकारों द्वारा गलियारे के शिलान्यास भी रखे और 2019 में श्री गुरु नानक देव जी के मनाए जा रहे 550 वर्षीय प्रकाश पर्व के अवसर पर श्री करतारपुर साहिब जी के खुले दर्शन करवाए जाने का सिख जगत को तोहफा दिया। लगभग साढ़े तीन दशकों से 1984 सिख कत्लेआम से संबंधित विभिन्न अदालतों में लटकते आ रहे इन मामलों में इस वर्ष सबसे पहले पटियाला हाऊस अदालत द्वारा दिल्ली के महिपालपुर क्षेत्र में दो सिख नौजवानों हरदेव सिंह एवं अवतार सिंह के गले में टायर डालकर जलाने एवं छत से नीचे फैंकने के मामले में नरेश सहरावत को उम्रकैद एवं यशपाल सिंह को मौत की सज़ा सुनाई गई। तत्पश्चात् दिल्ली के त्रिलोकपुरी क्षेत्र में हुए सिख विरोधी दंगों से संबंधित दोषियों को दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत द्वारा वर्ष 1996 में 5-5 वर्ष की सुनाई  गई सज़ा को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा बहाल रखने के आदेश दिए थे। इसी प्रकार 17 दिसम्बर को सिख कत्लेआम से ही जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को आरोपी करार देते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई गई। 34 वर्ष पश्चात् पहली बार सबसे अहम से बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रमुख कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार के अतिरिक्त सेवानिवृत्त अधिकारी कैप्टन भागमल, पूर्व कांग्रेसी कौंसलर बलवान खोखर एवं गिरधारी लाल को भी आरोपी करार दिया है। इन तीनों को निचली अदालत ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी, जिसको हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। इसके अतिरिक्त पूर्व विधायक महिन्द्र यादव एवं किशन खोखर को भी आरोपी माना गया है, जिनको निचली अदालत ने 3-3 वर्ष की सज़ा सुनाई थी परन्तु हाईकोर्ट ने इनकी सज़ा बढ़ाकर 10-10 वर्ष की कर दी। जस्टिस एस. मुरलीधरन एवं विनोद गोयल ने उक्त सज़ा कत्लेआम दौरान क्षेत्र में सिख परिवारों के घरों एवं एक गुरुद्वारे को आग लगाकर जलाने की आपराधिक साजिश में भी सज़ा सुनाई है।