क्रिसमस ट्री सजाने की परम्परा

क्रिसमस के सर्वाधिक प्रिय प्रतीक के रूप में सदाबहार और सितारों से लदे क्रिसमस ट्री को सदियों से याद किया जाता रहा है। इसे हालिडे ट्री भी कहा जाता है। सर्दियों के इस रंगारंग पर्व में क्रिसमस ट्री कई सदियों से महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। यूरोप में वाइकिंग्स को एक सदाबहार प्रतीक माना जाता है तथा इस तरह याद किया जाता है कि सर्द शीत ऋतु और अंधकार के दिन जाएंगे और बसंत की हरियाली लौट आएगी। पुराने जमाने में इंग्लैंड और फ्रांस के लोग ओक व़ृक्षों को फसलों के देवता के सम्मान में फलों तथा मोमबत्तियों से सजाते थे।घरों के अंदर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा संभवत: जर्मनी में आरंभ हुई थी, 1841 में विंडसर महल में क्रिसमस वृक्ष को सजाकर राजपरिवार ने इंग्लैंड में इसे लोकप्रिय बनाया। कुछ क्षेत्रों में जहां सदाबहार वृक्षों का अभाव था, लोगों ने साधारण लकड़ियों से पिरामिड के आकार का ढांचा बनाकर उसे मोमबत्तियों से सजाकर क्रिसमस वृक्ष का स्वरूप प्रदान किया। महारानी विक्टोरिया के पति प्रिंस एलबर्ट ने मोमबत्तियों, फलों तथा जिंगल बेल से पहले क्रिसमस वृक्ष को अलंकृत किया था। जब जर्मन अप्रवासी अमरीका गए तो उन्होंने वहां भी क्रिसमस ट्री की परंपरा प्रारंभ कर दी और आज यह परंपरा पूरी दुनियां में फैल चुकी है। (युवराज)

-चेतन चौहान