दुबई का विश्व प्रसिद्ध

धरती का असली शृंगार फूल हैं और जब प्रकृति या फिर प्राकृतिक फूलों से धरती को सजाया जाता है तो देखने वाले का मन मोहित होना लाज़िमी होता है। आप सोचें कि आपको रेतीले मरुस्थलों की दुनिया में हज़ारों नहीं, लाखों नहीं, करोड़ों फूल एक ही जगह मिल जाएं तो इन्सान के दिलो-दिमाग की स्थिति कैसी होगी? जवाब बहुत स्पष्ट है कि प्राकृतिक प्रेमी का हाल तो पागलों जैसा होना स्वाभाविक है। ऐसा ही मेरे साथ हुआ। जब पिछले दिनों मुझे दुबई में बने ‘दुबई मिराकल गार्डन’ को देखने का अवसर मिला। सरल शब्दों में कहूं तो बस इस बगीचे में पहुंचने पर ऐसा लगता है, मानो आप जन्नत में ही पहुंच गए हो, पहली नज़र में ही मन में स्वर्ग के दृश्यों की काल्पनिक तस्वीरें हकीकत का रूप लेती नज़र आती हैं। बेहद हसीन और खूबसूरत नज़ारे वाला यह बगीचा वर्ष 2013 में फरवरी माह में 14 तिथि यानि वैलेंटाइन-डे के मौके पर जनता के लिए खोला गया था। लगभग 18 एकड़ में बने इस बगीचे को विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक फूलों से सजाए बगीचे के तौर पर जाना जाता है। पूरे बगीचे में खिले करोड़ों फूलों को ज्यादातर प्लास्टिक के गमलों या धरती के ऊपर लगाया गया है और अनेक प्रकार के फूलों में मुख्य रूप में मौसमी फूल हैं, जिनके खिलने का खास अवसर होने के कारण यह बगीचा वर्ष भर खुला नहीं रहता। इस वर्ष यह बगीचा लोगों के लिए एक नवम्बर-2018 को खोल दिया गया था और यह 5 मई, 2019 तक आम जनता के लिए खुला रहेगा। वर्ष के अन्य महीने मौसम फूलों के लिए उपयुक्त न होने के कारण प्रबंधकों को गार्डन बंद करना पड़ता है। बगीचे के अंदर जाने के लिए आपको 50 दराम यानि वहां की करंसी मुताबिक जोकि मौजूदा रुपए के भाव के अनुसार भारत के हज़ार रुपए से कुछ रुपए (966) कम के करीब बनती है। हर वर्ष इस बगीचे को देखने के लिए लाखों ही लोग विश्व के विभिन्न स्थानों से पहुंचते हैं। बॉलीवुड फिल्म ‘हमारी अधूरी कहानी’ की शूटिंग इस बगीचे में भी की गई थी।मिराकल गार्डन का हर कोना खूबसूरत है परन्तु विश्व की सबसे बड़ी फूल घड़ी देखने योग्य है। बगीचे में मौजूदा प्राकृतिक फूलों की दीवार गिनीज़ बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज है। बगीचे में मौजूद ‘बटर फ्लाई’ गार्डन विशेष तौर पर तितलियों को आकर्षित करने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें सैकड़ों किस्म की तितलियां अपनी हाज़िरी लगाती हैं। गार्डन में मौजूद असली जहाज़ (एयर बस ए-380) को पूर्ण रूप में फूलों से सजाया  गया है। पूरे का पूरा फूलों से लदा जहाज़ देखकर दिल प्रसन्न हो जाता है। फूलों को दी हुई ताज महल जैसी दिखावट मोहित करती है। इसके अलावा दिल की शक्ल जैसे गेट, हॉट, फूलों को दिया नदियों जैसा रूप, फूलों के बनाए गए ‘फ्लावर कैसल’ आदि आपको किसी और ही दुनिया में ले जाते हैं। बच्चों को आकर्षित करने और उनका दिल लगाने के लिए, अनेकों ही कार्टून करैक्टर खास कर मिक्की माऊस, टैडी बीयर और बेहद बड़े आकार और बहुत ही खूबसूरत बनाए गए हैं। कार्टून के अलावा एक गेट पर बनाए बड़े आकार का कछुआ, फूलों से लदी बड़े आकार की चीटियां बहुत ही बड़ी लाजबाव बिल्लियां देखकर तो इन्सान दंग ही रह जाता है। पौधों की सहायता से ढांचे के सहारे बनी ये बिल्लियां जीवित लगती हैं। बिल्लियों के अलावा हाथियों की टोपियारियां भी बाकमाल लगती हैं। बगीचे में पानी न हो यह तो हो ही नहीं सकता। बगीचे में बनी लेक यानि झील रूप दृश्य जिसके भीतर और बाहर अलग-अलग खूबसूरत आकृतियां आपको अपनी ओर खींच कर रखती हैं। इतने विशाल बगीचे को बनाने और फिर उसका रख-रखाव करना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। सारे के सारे बगीचे को बड़े ही तकनीकी पक्ष से बनाया और सम्भाला जा रहा है। रेतीले क्षेत्र में पानी का अहम काम हो जाता है। प्रबंधकों ने प्रयोग किए पानी को ट्रीट करके बगीचे के हर फूल, क्यारी को लगाने का प्रबंध किया हुआ है। सारा बगीचा बूंद प्रणाली पर आधारित बना हुआ है। लाखों गमलों में लगे फूलों को शिद्दत से तैयार किया जाता है। समय आने पर ढांचों में फिट कर दिया जाता है। मेरे इस बगीचे के भ्रमण में विशेष तौर पर संत बाबा गुरमीत सिंह खोसा पांडो (मोगा) साथ गए थे और उनके अलावा स. सतवीर सिंह टोनी और गुरप्रीत सिंह भी साथ थे, ताकि वहां की बारीकियों को समझा जा सके और अपने गांवों में भी छोटे-छोटे हसीन बगीचे बनाए जाएं। बगीचों में अनेक किस्मों के फूल-पौधे लगाए गए हैं, परन्तु पटूनिया और सजावटी सूरजमुखी खूब नज़र आते हैं। पटूनिया के खिलने का समय दूसरे मौसमी फूलों से ज्यादा भी होता है और इसके रंग भी बेशुमार होते हैं। बगीचे में मौसमी फूलों के अलावा बेलें, भूमि को सजाने वाले पौधे और कई भी अनेकों किस्म के फूल प्रयोग में लाए गए हैं। गार्डन के अंदर आने के लिए एक गेट बहुत ही बड़ा और विशाल लगाया गया है। बगीचे में आराम करने के लिए बैठने वाले स्थान पर मौजूद हैं, मन बहलाने के लिए संगीत भी है, खाने-पीने के लिए जूस और कई वस्तुओं की दुकानें भी मौजूद हैं। 18 एकड़ में बने बगीचे को देखने के लिए रास्ते सीढ़ियां, चढ़ते-चलते आप एक किनारे से दूसरे किनारे तक कब पहुंच जाते हो, आपको पता ही नहीं चलता। इस बगीचे में अनेक ही शृंगार वाले ढांचे हर वर्ष बदले भी जाते हैं। कुछ ढांचे पक्के हैं और कुछ जैसे कि नल में से निकलती फूलों की नदी, मोर पक्षी आदि अनेक को बदल कर अच्छा रूप दिया जाता है। इस लाजवाब बगीचा देखते हुए मुंह से ज़रूर निकलता है, ‘अखीं वेख न रज्जेया’ (मैं अपनी आंखों से देख नज़ारों को)शब्दों द्वारा आप तक पहुंचाने की कोशिश की है। मैं दावे से कहता हूं कि बगीचे में इतने ज्यादा खूबसूरत फूलों के नज़ारे हैं कि आपका दिल ब़ाग-ब़ाग हो जाएगा। ऐसे हसीन बगीचों की गिनती धरती पर दिन प्रतिदिन बढ़ती नज़र आएगी।