धनिया में तेज़ी-मंदी केवल मौसम पर


नई दिल्ली 25 दिसम्बर (एजेंसी): मध्य प्रदेश को छोड़कर देश के अन्य दोनों प्रमुख उत्पादक राज्यों में इस बार धनिया की बिजाई तुलनात्मक रूप से कमजोर हुई है। इसके बाद भी आगामी दिनों में इसमें तेजी-मंदी मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर रहेगी। मध्य प्रदेश में ही धनिया की बिजाई बीते सीजन की तुलना में करीब 80-85 प्रतिशत के आसपास होने की खबरें आ रही हैं।
राजस्थान में इसकी करीब 70 प्रतिशत बुआई होने की रिपोर्ट आ रही है। बुआई की दृष्टि से सबसे खराब स्थिति गुजरात की है। गुजरात कृषि विभाग के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पिछले सीजन की तुलना में राज्य में अभी तक केवल 40 प्रतिशत क्षेत्रफल में ही धनिया बोया गया है। बुआई की इस नवीनतम स्थिति के बाद भी लिवाली का समर्थन कमजोर पड़ने से राजस्थान की प्रमुख मंडियों में हाल ही में धनिया मंदा हुआ है। रामगंज मंडी में बादामी एवं ईगल धनिया फिलहाल 5100/5300 रुपए एवं 5300/5500 रुपए प्रति क्विंटल पर बना हुआ है। रामगंज में धनिया की करीब तीन/साढ़े तीन हजार बोरियों की आवक होने की सूचना मिली। इसी प्रकार, बारां मंडी में धनिया की करीब डेढ़/दो हजार बोरियों की आवक होने की सूचना मिली। आवक तुलनात्मक रूप से नीची होने तथा लिवाली कमजोर  पड़ने से यहां धनिया 200-300 रुपए मंदा हुआ है। बादामी एवं ईगल धनिया क्रमश: 5300/5500 रुपए और 5500/5700 रुपए पर डटा हुआ है। धनिया में हाल ही में आई मंदी का प्रमुख कारण यह है कि वर्तमान हाजिर कीमत पर इसका उठाव कमजोर बना हुआ है। मध्य प्रदेश की मनासा मंडी में सोयाबीन की करीब दो/ढाई हजार बोरियों की आवक होने की सूचना मिली। उधर, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ समय से भारतीय धनिया 1.54 डॉलर प्रति किलोग्राम पर बना हुआ है। बीते महीने की आलोच्य अवधि में इसकी कीमत 1.41 डॉलर थी। 
रुपया कमजोर होने के बाद भी फिलहाल निर्यातकों की कोई गतिविधि नहीं सुनी गई। हाल ही में आई तेजी के बाद भी घरेलू धनिया बाजारों में कामकाजी गतिविधियां सुस्त ही बनी हुई है। इधर, स्थानीय थोक किराना बाजार में धनिया हाल ही में 200 रुपए मंदा होकर फिलहाल 7200/7300 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर बना हुआ है।। घरेलू बाजारों में धनिया की कीमत तुलनात्मक रूप से नीची बनी होने के कारण हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष 2017-18 में देश से 272.74 करोड़ रुपए कीमत के 35,185 टन धनिए का निर्यात हुआ। बीते वित्त वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी 30,300 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 292.07 करोड़ रुपए की आय हुई थी। स्पष्ट है कि इस बार धनिए के मात्रात्मक निर्यात में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि आय 7 प्रतिशत घटी। यदि लिवाली का समर्थन मिलता है तो आगामी समय में धनिया की तेजी-मंदी अब केवल मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर रहेगी।