उधम सिंह को ‘राष्ट्रीय शहीद’ घोषित करने पर केन्द्र को जलियांवाला बाग ट्रस्ट की नहीं बनी सहमति

अमृतसर, 26 दिसम्बर (सुरिन्द्र कोछड़) : लंदन के कैकस्टन हाल में पंजाब के तत्कालीन लैफ्टिनेंट गवर्नर माइकल एडवायर की गोली मार कर हत्या कर भारत की आज़ादी का संदेश पूरे ब्रिटिश साम्राज्य तक पहुंचाने वाले शहीद-ए-आज़म उधम सिंह को ‘कौमी शहीद’ घोषित पर केन्द्र सरकार पर जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट की सहमति भी नहीं बन सकी है। एक तरफ शहीद को सम्मान देने के लिए देश के अलग-अलग संगठनों द्वारा शहीद उधम सिंह के लगभग 48 बुत्त देश के स्मारकों, बागों, चौराहों तथा सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जा चुके हैं, जबकि दूसरी ओर केन्द्र में रहीं अलग-अलग पार्टियों की सरकारों ने आज तक शहीद उधम सिंह सहित दूसरे शहीदों को ‘कौमी शहीद’ घोषित करने पर अनदेखी करती आ रही हैं। वर्णनीय है कि 31 जुलाई 1940 को स. उधम सिंह को फांसी चढ़ाए जाने के बाद शहीद का पार्थिव शव लंदन की पैंटोविले जेल के कव्रीस्तान में दफन कर दिया था, जिसके 34 वर्षों बाद पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने केन्द्र सरकार की सहायता से लंदन से शहीद की अस्थियों को भारत मंगवाया और अस्थियां को भारत पहुंचने के 14 दिन बाद 31 जुलाई को विधिपूर्वक अग्नि भेंट किया गया। उक्त जलियांवाला बाग स्मारक में साधारण शो केस में रखी शहीद उधम सिंह की अस्थियों को भस्म वाले कलश के साथ लगाई तख्ती पर शहीद-ए-आज़म स. उधम सिंह को ‘शहीद’ शब्द के साथ संबोधित करने की अपेक्षा हिन्दी, अंग्रेजी व पंजाबी में उधम सिंह की अस्थियां लिखा गया है। हैरानी वाली बात यह है कि अभी तक किसी संस्था या व्यक्ति द्वारा इस बारे में कोई विरोध नहीं किया गया है और न ही जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट ने अपनी नैतिक ज़िम्मेवारी समझते हुये उक्त शब्दावली में कोई सुधार किया है।