बैडमिन्टन में सुखद भविष्य की उम्मीदें जगाती पी.वी. सिंधु

रियो ओलम्पिक रजत पदक विजेता और इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों तथा विश्व चैंम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाली भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु (पुसरला वेंकट सिंधु) इस वर्ष के समापन के साथ 84264 रेटिंग अंकों के साथ ताजा विश्व महिला एकल रैंकिंग में तीन पायदान उछलकर तीसरे स्थान पर पहुंच गई हैं और दुनिया की तीसरे नंबर की बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं। इस वर्ष की शुरूआत में भी उनकी यही रैंकिंग थी लेकिन सालभर उनके कैरियर में उतार.चढ़ाव का दौर जारी रहा और वह कभी चौथे तो कभी पांचवें या छठे नंबर पर रही। उनकी मौजूदा रैंकिंग में सुधार ग्वांगझू में ‘बीडब्ल्यूएफ  विश्व टूर फाइनल्स’ में उनकी ऐतिहासिक खिताबी जीत के चलते हुआ है। यह खिताबी जीत हासिल कर सिंधु ने भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है।  इस शानदार जीत के बाद सिंधु सर्च इंजन ‘गूगल’ पर सर्वाधिक खोजी जाने वाली भारतीय खिलाड़ी भी बन गई हैं। सिंधु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उस समय सुर्खियों में आई थीए जब वह 2013 में चीन के ग्वांगझू में आयोजित विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर यह सफलता हासिल करने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी थी और अगले साल कोपेनहेगन में फिर इसी सफलता को दोहराकर हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। सिंधु को अभी तक फाइनल मुकाबलों में कुल 14 बार शिकस्त झेलनी पड़ी है जबकि वह अपने कैरियर में 11 खिताब अपने नाम कर चुकी हैं। इसी वर्ष उन्हें विश्व चैम्पियनशिप, एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों, थाईलैंड ओपन तथा इंडिया ओपन के फाइनल में भी हार का सामना करना पड़ा था। अब उन्होंने जापान की नोजोमी ओकुहारा को शिकस्त देकर ‘विश्व टूर फाइनल्स’ खिताब जीता है, जिसे पहले ‘सुपर सीरिज फाइनल्स’ के नाम से जाना जाता था और यह खिताब जीतने वाली वह पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन गई हैं। वह इस टूर्नामेंट में लगातार तीन बार खेली हैं लेकिन 2016 में वह सेमीफाइनल में पराजित हो गई थी जबकि 2017 में फाइनल में मुकाबला हारकर उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। इसी वर्ष के एशियाई खेलों में वह भारत का 36 वर्षों का सूखा खत्म करते हुए ताइवान की ताई जू यिंग को हराकर रजत पदक जीतने में सफल रही थी। जिस उम्र में बच्चे पड़ोस में जाने से भी डरते हैं, 8-9 साल उस छोटी सी उम्र में सिंधु प्रतिदिन 56 किलोमीटर की दूरी तय कर बैडमिंटन कैंप में ट्रेनिंग लेने जाया करती थी।एक के बाद एक मिली सफलताओं ने विश्व वरीयता प्राप्त भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु को सदैव सुर्खियों की सरताज बनाए रखा है। वह 2009 में कोलंबो में आयोजित उप-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंम्पियनशिप में कांस्य पदक, 2010 में ईरान फज्र अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन मुकाबले में महिला एकल में रजत पदक, 2011 में डगलस कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक, जुलाई 2012 में एशिया युवा अंडर.19 चैम्पियनशिप, दिसम्बर 2013 में मलेशियाई ओपन के दौरान महिला सिंगल्स का ‘मकाऊ ओपन ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड’ खिताब, 2013 तथा 2014 में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक, 2016 में गुवाहाटी दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक, 2016 में रियो ओलम्पिक में रजत पदक जीत चुकी हैं। सिंधु ने ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थी। ओलम्पिक खेलों में भारत की ओर से महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली सिंधु पहली खिलाड़ी हैं। उससे पहले वे भारत की नेशनल चैम्पियन भी रह चुकी थी। नवम्बर 2016 में उन्होंने चीन ओपन खिताब भी अपने नाम किया था। सिंधु चीन के ग्वांग्झू में आयोजित 2013 की विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में एकल पदक जीतने वाली भी पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जिसमें उन्होंने ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था। वर्ष 2014 में उन्हें एनडीटीवी द्वारा ‘इंडियन ऑफ  द ईयर’ घोषित किया गया था। 2013 में सिंधु को ‘अर्जुन पुरस्कार’ तथा 30 मार्च 2015 को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और विजाग स्टील की ब्रांड एम्बेसडर हैं। सिंधु भारत के आर्थिक रूप से सम्पन्न खिलाड़ियों में से एक हैं। इस साल फोर्ब्स पत्रिका द्वारा जारी विश्व में सर्वाधिक कमाई करने वाली शीर्ष 10 महिला खिलाड़ियों की सूची में सिंधु सातवें स्थान पर रही हैं। जून 2017 से जून 2018 के बीच सिंधु की कुल कमाई 85 लाख डॉलर रही है। बहरहाल, सिंधु इस समय जिस बेहतरीन फॉर्म में हैं और दुनिया की चोटी की खिलाड़ियों को जिस प्रकार दमदार चुनौती दे रही हैं, उससे वो बैडमिंटन के सुखद भविष्य की उम्मीदें जगा रही हैं और अब उनका अगला लक्ष्य टोक्यो ओलम्पिक-2020 है तथा ओलम्पिक में स्वर्ण जीतना ही उनका सपना है।