प्लूटो की अनोखी दुनिया

सौर मंडल के अंतिम छोर पर मौजूद बर्फीली दुनिया प्लूटो। प्लूटो के वातावरण के बारे में बेहद महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आई हैं। हमें पहली बार प्लूटो के वातावरण की झलक मिली है। प्लूटो का वायुमंडल मीथेन से भरपूर है, जैसे कि पृथ्वी का वातावरण ऑक्सीजन से। प्लूटो के वायुमंडल में मीथेन के  साथ नाइट्रोजन और कार्बन मोनो ऑक्साइड के कुछ अंश भी मौजूद हैं। खास बात यह कि प्लूटो का ज़मीन के मुकाबले वातावरण का तापमान 40 डिग्री ज्यादा है। लेकिन इसके बावजूद प्लूटो एक ऐसी दुनिया है जो डीप फ्रिज जैसे हालात में है। यहां का सर्फेस टैम्परेचर शून्य से 220 डिग्री सेंटीग्रेड नीचे है। प्लूटो के वातावरण की ये नई झलक दिखाई गई है चिली में मौजूद ला-सिला-पैरानल ऑब्जर्वेटरी के यूरोपियन आर्गेनाईजेशन फॉर एस्ट्रोनॉमिकल रिसर्च इन द साउदर्न हेमिस्फियर सैंटर ने 1930 में प्लूटो की खोज से लेकर अगस्त 2006 तक इसे हमारे सौरमंडल का नौवां ग्रह होने का गौरव हासिल था। लेकिन 24 अगस्त 2006 को इससे वह गौरव छीन लिया गया। सभी ग्रहों, चंद्रमाओं और दूसरे आसमानी पिंडों की परिभाषाएं तय करने और उनके नाम निर्धारित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने अगस्त 2006 में दुनिया भर के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर बहस छेड़ी कि आखिर किसे हम ग्रह मानें और किसे नहीं? इस बहस की वजह यह थी कि सौरमंडल के बाहर लगातार नए पिंड खोजे जा रहे थे और यह तय करना बेहद जरूरी हो गया था कि आखिर एक ग्रह की परिभाषा क्या हो? ग्रहों की परिभाषा को तय करने की ये बहस एक हफ्ते तक चली और इस बहस में एक मौका यह भी आया कि हमारा चंद्रमा भी ग्रह के ओहदे का दावेदार बन गया। इस बहस का अंत ड्वार्फ प्लेनेट्स यानि छुद्र ग्रहों के एक नए वर्ग के साथ हुआ। यह स्वीकार किया गया कि हमारे सौरमंडल में ग्रह और चंद्रमाओं के साथ छुद्र ग्रह यानि ड्वार्फ प्लेनेट्स भी हैं। प्लूटो ग्रह की परिभाषा पर खरा नहीं उतरा और इंटरनैशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने प्लूटो को ग्रह का दर्जा दिए जाने को ऐतिहासिक भूल मानते हुए प्लूटो को ड्वार्फ प्लेनेट यानि छुद्र ग्रह का दर्जा दिया। इस तरह हमारा सौरमंडल एक बार फिर तय किया गया और अंतिम रूप से घोषित किया गया कि हमारे सौरमंडल में ग्रहों की संख्या 9 नहीं बल्कि 8 है।

-राम प्रकाश शर्मा