ठगा महसूस करने लगे पंजाब के गन्ना उत्पादक

जालन्धर, 5 जनवरी (मेजर सिंह) : पंजाब के गन्ना उत्पादक ठगे-ठगे महसूस कर रहे हैं। पिछले महीने 5 दिसम्बर को फगवाड़ा में हाईवे जाम करके बैठे गन्ना उत्पादकों को भरोसा दिया गया था कि निजी गन्ना मिलों को तुरंत पिराइ का काम शुरू करने और गन्ने की पिछले वर्ष के भुगतान भी जल्द कर दिया जाएगा। सरकार मिलों के कर्ज़  के ब्याज़ का 65 करोड़ रुपए देगी परंतु एक महीने बीत गया है, न सरकार ने 65 करोड़ रुपए जारी किए हैं, न निजी चीनी मिलों ने एक भी पैसा गन्ना किसानों को बकाए का दिया है। गन्ना मिलों ने पिराई तो शुरू कर दी है, परंतु नए खरीदे जा रहे गन्ने की अदायगी नहीं दी जा रही। ऊपर से हालत यह है कि 40-50 हज़ार रुपए गन्ने की फसल पर खर्च कर किसान गन्ना मिलों में छोड़कर खाली हाथ घरों को वापिस आ रहे हैं। गन्ना काश्तकारों का 200 करोड़ रुपए का पिछले वर्ष की निजी मिलों द्वारा बकाया है परंतु सहकारी मिलों की कारगुजारी से किसान काफी खुश हैं। यह तो सहकारी मिलों ने पिराई का काम लगभग 20 दिन पहले शुरू कर दिया है और दूसरा 187 करोड़ रुपए के पिछले वर्ष के बकाए में से 100 करोड़ रुपए लगभग किसानों के खातों में डाले जा चुके हैं। चीनी मिल मालिकों का कहना है कि सरकार ने एक तो ब्याज का 65 करोड़ रुपए उनको नहीं दिया, दूसरा स्टाक में पड़ी चीनी नहीं उठाई जा रही जिस कारण वह किसानों के बकाये नहीं दे सकते। मिल मालिकों का कहना है कि पिछली चीनी का स्टाक पहले से पड़ा है और नई चीनी भी आ रही है। परंतु आगे सरकार उठा नहीं रही जिस कारण नए खरीदे गन्ने की रकम देनी मुश्किल है। गन्ना मिल मालिकों का कहना है कि नए खरीदे गन्ने की अदायगी मार्च के बाद ही शुरू होने की संभावना है। भारतीय किसान यूनियन दोआबा के प्रधान मनजीत सिंह राय ने सीनियर किसानों के साथ किए समझौते से पीछे हट गए हैं।  उन्होंने कहा कि किसानों का पिछले वर्ष का बकाया अभी भी निजी व सहकारी मिलों पर 300 करोड़ रुपए के लगभग खड़ा है और पिछले डेढ़ महीने में 500 करोड़ के मूल का नया गन्ना खरीदा जा चुका है और इस गन्ने की भी कोई अदायगी नहीं की जा रही।