2019 में अगली पहलकदमी कौन करेगा ?

वर्ष 2018 समाप्त हो गया है। उसी तरह सभी देशों के मन के अंदर से नकारात्मक बातें खत्म हो जानी चाहिएं।  क्योंकि नई मंज़िलों और नए रास्तों पर चलने के लिए पुरानी बातों को भूल जाना बहुत ज़रूरी होता है। इसी प्रकार रुक जाने से नई मज़िलें और नए रास्ते हासिल नहीं हो सकते। पाकिस्तान और भारत को भी आगे बढ़ना होगा। भविष्य को सुरक्षित करने के लिए नकारात्मक अतीत को भूलना होगा। जनता के नाम पर और चुनाव का खेल खेलकर और नफरत बांट कर कोई भी अपने आप को राजनेता तो कह सकता है लेकिन नेता नहीं। आज हमें सभी को यह मानना पड़ेगा कि घर कमज़ोर था, घर के अंदर नफरत थी, इसीलिए तो घर बांटा गया। घर के सदस्य घर छोड़कर चले गए। घर टूट गया, पिता जी भी नहीं बच सके। पिता जी बचते भी कैसे, जब नफरत ने घर में डेरा जमा रखा था और मोहब्बतों का कत्ल कर दिया गया था। 70 वर्ष से अधिक हो गए आज भी नफरत चली आ रही है और चलती चली जा रही है। प्यार को खत्म कर दिया गया है। कोई नफरत का खून भरा सिलसिला नहीं रोक रहा और जो कोई भी रोकने की कोशिश करता है, उसको देशद्रोही करार दे दिया जाता है। आजकल दोनों ओर अमन और प्यार की बात करने वाला भी गद्दार और देशद्रोही समझा जा रहा है। नफरत का कारोबार जितना उपमहाद्वीप या साऊथ एशिया में कामयाबी से चल रहा है, शायद ही किसी ओर क्षेत्र में चलता होगा। जरा विचार करो, हम अपने ही देश पर अपनी ही जनता से कितना अत्याचार कर रहे हैं। आज हमें कोई और नहीं, हम अपने आप ही एक-दूसरे को मार रहे हैं। हमें बांटने वाले और बदनाम करने वाले असलियत में हमें मिलजुल कर रहने नहीं देना चाहते थे, कल भी और आज भी। अगर घर के सभी सदस्य घर के अंदर रहना चाहते हैं या घर को सजाना-संवारना चाहते हैं या घर को मजबूत रखना चाहते हैं तो बाहर की कोई बड़ी से बड़ी ताकत भी घर को तोड़ नहीं सकती। तोड़ना तो दूर की बात है, घर को नुक्सान भी नहीं पहुंचा सकते। घर के सदस्य को डरा नहीं सकते। लेकिन हम कौन लोग हैं। हम बांटे भी गए....हम बांटे भी गए.... हम खुद भी टूट गए और घर भी टूट गए। हमनें नफरत को अपनाया और प्यार का गला दबा दिया। हम आज भी नफरत बांट रहे हैं और प्यार का गला काट रहे हैं। हम पढ़-लिख तो गए हैं, परमाणु ताकत भी हासिल कर ली है, लोकतंत्र भी बन गए हैं, धर्मनिरपेक्ष भी बन गए हैं लेकिन अच्छे, सुंदर और सुखी नहीं बन सके। दूसरा घर भी बना लिया लेकिन न पहले घर में सुख है और दूसरे घर में। भारत और पाकिस्तान में रहने वाले लाखों-करोड़ों परिवार 1947 में ऐसे परदेसी हो गए कि आज तक अपनी ही धरती पर रहते हुए प्रदेशी हैं। 70 वर्ष में एक नस्ल खत्म हो गई और दूसरी खत्म होने वाली है, लेकिन एक घर से शुरू होने वाली दुश्मनी खत्म होने का नाम नहीं ले रही और दोनों ओर कोई नेता ऐसा नहीं जो हिम्मत करके नफरत खत्म कर सके। जीते-जागते इन्सानों की अमन और प्यार से रहने की उम्मीद बुझ गई। प्यास से याद आया कि किसी नेता ने किसी की प्यास क्या बुझानी है वहीं दूसरी ओर दो परिवार वाले एक-दूसरे को घर का पानी बंद करने की बातें कर रहे हैं। इन राजनेताओं का बस चले तो हमारी रोटी और सांस लेना भी बंद कर दें। इनको कोई पूछने वाला नहीं है कि सब कुछ बंद करने की सोच किस तरह कामयाब हो सकती है?  आप एक मोहल्ले, एक गली में साथ-साथ रहकर भी अपने पड़ोसी का रास्ता बंद कर दें, उसका पानी बंद कर दें, उससे बातचीत करनी बंद कर दें और उससे मुलाकात करनी बंद कर दें, उसकी खुशी में न जाएं और उसकी मुसीबत या दुख को न बांटें तो खुद ही फैसला करें कि आप किस तरह खुशहाल और अच्छी ज़िंदगी गुजार सकते हो? इस तरह दो घरों की लड़ाई से पूरी गली और मोहल्ले का सुकून बर्बाद हो जाएगा। जब यह विचार एक मोहल्ले या एक गली या दोनों घरों के लिए अच्छा नहीं है तो सार्क जैसे बड़े क्षेत्र के लिए किस तरह अच्छी या कामयाब हो सकती है। हमनें आपस में लड़-लड़ कर पूरी दुनिया में अपना व्यवहार लड़ने वाला व्यवहार बना लिया है। आज पूरी दुनिया हमें मारने वाले समझती है, बचाने वाले नहीं। आज भी कुछ बिगड़ा नहीं, आज भी हम नफरत को खत्म कर सकते हैं, क्योंकि साऊथ एशिया कहो या उप-महाद्वीप उस धरती पर जन्म लेने वाले कमज़ोर नहीं महान होते हैं और महान लोग हथियारों से बात नहीं करते, किसी को बिना वजह मारते नहीं। महान लोग तो अधिकार और सच के लिए खड़े होते हैं। प्यार से बात करते हैं, भगवान की बात करते हैं और सबकी बात करते हैं। सबसे बड़ी बात महान व्यक्ति कभी दुश्मन नहीं बनाते, दुश्मन कम करते हैं। पाकिस्तान और भारत को भी 2019 में राजनीति के मैदान में महान लोग चाहिए, जो न सिर्फ अतीत की नफरत को खत्म करके मोहब्बत को बढ़ा सकें। बल्कि दोनों घरों को भी मजबूत करें, और इन घरों के अंदर रहने वाले लोगों की ज़िंदगी का रोग खत्म कर सकें और खुशियां ला सकें।  करतारपुर गलियारा 2019 में खुला है। बाबा गुरुनानक के घर का दरवाज़ा खोलने से दोनों ओर प्यार और मोहब्बत का माहौल बनना चाहिए, क्योंकि बाबा नानक सभी लोगों से प्यार करते थे। यह दरवाज़ा खुलते ही नफरत का कारोबार बंद होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो नफरत बांटने वाले अपने आप ही अपनी सोच के हाथों से हार जायेंगे। 2019 की सबसे बड़ी और अच्छी खबर यह है कि पाकिस्तान ने भारत में करतारपुर गलियारे के बारे में 59 पन्नों के सुझाव या प्रस्ताव भेज दिए हैं, जिसमें 14 महत्वपूर्ण बातें हैं। सुझाव में यह कहा गया है कि करतारपुर गलियारे पर भारतीय यात्रियों को वीज़ा रहित दाखिला दिया जायेगा। दोनों देश अपनी-अपनी सीमा में सुविधा केन्द्र और सुरक्षा चैक पोस्टें बनायेंगे। यात्री 15-15 के ग्रुप बनाकर आ सकेंगे। पाकिस्तान की ओर से भारतीय सिख यात्रियों को विशेष परमिट जारी किया जायेगा और दोनों देश यात्रियों की सूची बनायेंगे, जिसमें उनके नाम और उनके बारे और जानकारी शामिल होगी। सुझावों में यह भी कहा गया है कि भारतीय सरकार यात्रियों की सूची तीन दिन पहले पाकिस्तान को देगी। यात्रियों के पास भारत का पासपोर्ट होना ज़रूरी होगा। गुरुद्वारा दरबार साहिब सुबह 8 बजे से सायं 5 बजे तक खुला रहेगा। पाकिस्तान रोज़ाना 500 यात्रियों को किसी भी यात्री का परमिट जारी करेगा और किसी भी वजह बताए बिना परमिट रद्द करने का भी उसको अधिकार होगा, जबकि भारतीय यात्रियों को अपनी सरकार से भी सुरक्षा संबंधी स्वीकृति हासिल करनी पड़ेगी। 2019 का आगमन हो चुका है। एक घर की ओर से अमन और मोहब्बत का कदम 2018 में उठाया गया था, 2019 अब दूसरे घर की बारी है कि वह भी हिम्मत करे और बड़े भाई होने के सबूत दे। अपनी ओर से नफरत के कारोबार बंद करे और प्यार के रास्तों को खोले। अब देखना यह होगा कि 2019 में दोनों ओर से कौन-सा ऐसा महान नेता आगे आता है, जो बाबा नानक के मिशन को आगे बढ़ाते हुए आम लोगों के लिए करतारपुर गलियारे से आगे जाकर और कई रास्ते खोलने की पहल करता है। लोगों को दोनों ओर से इसका इंतज़ार रहेगा। दोनों घरों में बसने वाले ही नहीं, सार्क में बसने वाले लाखों और करोड़ों लोग 2019 के महान व्यक्ति के दर्शन करने को तरस रहे हैं। बाबा गुरुनानक ने चाहा तो महान व्यक्ति ज़रूर उठेगा और सबको नज़र आयेगा।