सर्दियों में जब पसीना आए...


पसीना आना मनुष्य के शरीर की एक स्वाभाविक क्रिया है। यह शरीर की ताप नियंत्रक प्रणाली के द्वारा संचालित होता है। गर्मी में पसीना आना एक सामान्य बात है। पसीना कुछ को कम तो कुछ को बहुत ज्यादा आता है। शरीर के अनेक भागों से पसीना अधिक आता है। गर्मी में पसीने के सूखने से ठंडक का अहसास होता है।
पसीना निकलने की स्थिति एवं मात्रा सबमें अलग-अलग होती है। गर्मी में पसीना ज्यादा लोगों को आता है जबकि कुछ लोगों को ठंड में पसीना आता है। ग्रीष्म काल का पसीना जल्द सूख जाता है जबकि ठंड के समय का पसीना तापमान में ठंडक होने के कारण देरी से सूखता है जिसके कारण इससे शरीर एवं कपड़े से गंध आती है। यह दुर्गंध व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करती है।
पसीने में पानी के अलावा नमक, वसा, प्रोटीन, यूरिया आदि की मात्रा होती है जो श्वेत ग्रंथियों से पसीने के साथ शरीर से बाहर निकलता है। ठंड के मौसम में तापमान में कमी के कारण इसका वाष्पन कम होता है जिससे यह सूख नहीं पाता। तब इसमें जल्द बैक्टीरिया पनपते हैं। यही बैक्टीरिया शरीर के प्रोटीन, नमक एवं वसा को अमोनिया एवं अम्ल में बदल देते हैं जिससे दुर्गंध आने लगती है। यही दैनिक क्रिया को कठिन कर देता है।
ठंड में पसीने की दुर्गंध से बचाव के लिए दैनिक नहाएं। साबुन एवं डेटाल का उपयोग करें। नहाने के पानी में सिरका डालें। नहाने के बाद शरीर पर हल्का पाउडर लगाएं। पानी खूब पिएं। फल, सब्जी, सलाद, दही, रायता खाएं। 
नमक एवं तली भुनी चीजें कम खाएं। दैनिक धुले वस्त्र पहनें। पसीने वाले किसी भी वस्त्र का दोबारा उपयोग न करें। पसीने वाले कपड़े को साफ कपड़ों के साथ न रखें। तेज धूप एवं बंद जगहों से बचें। हवादार स्थान पर रहें। टाई एवं सभी कपड़े सूती व ढीलें पहनें। (स्वास्थ्य दर्पण)
-सीतेश कुमार द्विवेदी