एक टांग न होने के बावजूद दौड़ते हैं मैराथन

दीपक सैणी
‘हादसों की जिद्द थी बिजलियां गिराने की, लेकिन हमने भी कसम खाई थी कुछ कर दिखाने की’ जी हां, मैं इस जांबाज़ नौजवान की बात कर रहा हूं। उसकी कहानी या उससे बीती घटना सुन कर पढ़ने वालों की आंखों में आंसू आ सकते हैं या फिर ऐसा जोश आ सकता है कि इस खिलाड़ी नौजवान को देख कर प्रत्येक यह कह उठेगा कि हौसले की मिसाल इससे बड़ी कहीं ओर नहीं हो सकती। दीपक सैणी की एक टांग कटी हुई है, लेकिन वह एक टांग के बावजूद भी मैराथन दौड़ दौड़ते हैं। व्हीलचेयर पर बास्केटबाल खेलते हैं, क्रिकेट खेलते हैं और खुद मोटरसाइकिल चलाकर सभी को हैरान कर देता है। दीपक सैणी का जन्म हरियाणा राज्य के शहर करनाल के साथ लगते कस्बा नुमा गांव इंद्री में पिता नाथी राम के घर माता सीता देवी के गर्भ में 1 दिसम्बर, 1995 को हुआ। 
उन्होंने अपने ही कस्बे में प्राथमिक शिक्षा हासिल की और फिर शहर करनाल के एक कालेज में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला ले लिया। उसी दौरान वह 6 मई, 2014 को अम्बाला से यमुना नगर ट्रेन द्वारा जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर खड़े थे, तो जब उनकी ट्रेन आ चुकी तो ट्रेन में बैठी एक बुजुर्ग औरत ने उनको खाली बोतलें पकड़ा दी और रेलवे स्टेशन से पानी भरने के लिए कहने लगी, तो दीपक सैणी को बुजुर्ग महिला पर तरस आ गया और वह पानी की बोतलें भरने के लिए चले गए, लेकिन जब दीपक पानी बोतलें भर रहा था, तो ट्रेन चल पड़ी, वह हाथ में पानी की बोतलें लेकर ट्रेन में चढ़ने लगे तो उनकी टांग फिसल गई और वह गाड़ी के डिब्बे यानी बोगी के साथ फंस गए और ट्रेन उनको घसीटते हुए अपने साथ ले गई, जब ट्रेन रुकी तो उनकी टांग उनके शरीर से बिल्कुल अलग हो चुकी थी। 
उनको अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके ज़ख्मों का इलाज तो हो गया, लेकिन उनकी टांग वापिस न आ सकी। वह तीन महीनों के बाद कालेज जाने के लिए तैयार हुए तो वह डर गए और सोचने लगा कि लोग मुझे क्या कहेंगे, क्योंकि अब वह बिल्कुल विकलांग हो चुका था। उनके पिता यह फैसला किया कि उनके लिए बनावटी टांग लगवा दी जाए, लेकिन उस पर जो खर्च आ रहा था, वह उस समय परिवार के पास नहीं था। फिर भी उनके पिता ने बैंक से ऋण लेकर उनको बनावटी टांग लगवा दी। दीपक ने सोचा कि वह किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि वह अपनी ज़िन्दगी खुद स्वतंत्र होकर व्यतीत करेंगे। उन्होंने क्रिकेट खेलने के लिए ट्रायल दिया, लेकिन वह सफल नहीं हुए। उनका दृढ़ निश्चय था कि वह असम्भव को सम्भव में बदल देंगे और  उन्होंने ऐसा ही किया। दीपक जल्द ही क्रिकेट ही नहीं खेलने लगा, बल्कि व्हीलचेयर पर बास्केटबाल भी खेलने लगे और जल्द ही वह स्वयं मोटरसाइकिल चलाने लगे। दीपक सैणी ने बताया कि वह बहुत सारी मैराथन दौड़ में हिस्सा ले चुके हैं और यह समूचे भारत के लिए गर्व वाली बात है कि वह अगले कुछ महीनों में दिल्ली में आयोजित होने वाली 21 किलोमीटर की लम्बी मैराथन दौड़ में हिस्सा ले रहा है। दीपक कहता है कि मुझे गर्व है कि मैंने अपनी विकलांगता को योग्यता में बदला है और एक दिन वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर भारत की झोली में स्वर्ण पदक ज़रूर डालेंगे।
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